दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कावेरी छात्रावास की दीवारों पर "चमार भारत छोड़ो" और "दलितों भारत छोड़ो" जैसे देश विरोधी नारे लिखने की घटना ने एक बार फिर से विश्वविद्यालय परिसर में उथल-पुथल मचा दी है। इस घटना ने न केवल छात्रों बल्कि समाज के सभी वर्गों में आक्रोश और चिंता उत्पन्न कर दी है।
इस घटना के बाद, कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार ये नारे लिखने वाले लोग कौन हो सकते हैं और उनका मकसद क्या था। JNU प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है, जो दीवारों पर लिखे गए इन नारों की जांच करेगी और दोषियों को पकड़ने का प्रयास करेगी।
"दलित चमार भारत छोड़ो... "
— Ajey Patel (@AjeyPPatel) July 20, 2024
कावेरी छात्रावास (JNU) की दीवारों पर यह देश विरोधी नारा लिखने वाले लोग कौन लोग हो सकते हैं? pic.twitter.com/Z2v4hfw1jt
कई छात्र संगठनों और दलित समुदाय के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह नारे लिखकर दलित समुदाय को निशाना बनाया गया है और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई गई है। JNU के छात्रों ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में फैले जातिवाद और भेदभाव का नतीजा हैं। वे कहते हैं कि जब तक समाज में जातिवाद की जड़ें गहरी हैं, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
इस घटना की पृष्ठभूमि में, यह देखना होगा कि JNU प्रशासन और पुलिस विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और दोषियों को सजा दिलाने में कितनी सफलता प्राप्त करते हैं। वहीं, यह भी आवश्यक है कि समाज में जातिवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाए और सभी वर्गों के लोगों को समान अधिकार और सम्मान मिले।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में जातिवाद और भेदभाव की समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं और इनका समाधान निकालने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।