बरसात का मौसम किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आता है, जिसमें वे टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस लेख में हम टमाटर की खेती के विभिन्न पहलुओं जैसे प्लांटिंग विधि, बीज दर, निराई-गुड़ाई, सिंचाई की संख्या, लागत, बचत, और शुद्ध लाभ के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
प्लांटिंग विधि
टमाटर की खेती करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:
1. भूमि का चयन: अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी का चयन करें, जिसकी पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच हो। बलुई दोमट मिट्टी टमाटर की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
2. बीज का चयन: उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, जैसे कि पूसा रुबी, अर्का विकास, और रोमा।
3. बीज की बुवाई: बीजों को पहले नर्सरी में बोएं और जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं तो उन्हें मुख्य खेत में स्थानांतरित करें। प्रति हेक्टेयर 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
4. रोपाई का तरीका: पौधों को 60x45 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें। पौधों की लाइन के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
बीज दर
टमाटर की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
निराई-गुड़ाई
निराई-गुड़ाई टमाटर की खेती में महत्वपूर्ण है। खेत को खरपतवार मुक्त रखने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें। पहली निराई-गुड़ाई पौधारोपण के 20-25 दिन बाद करें और इसके बाद हर 15-20 दिन पर करें।
सिंचाई की संख्या
टमाटर की फसल को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। बरसात के मौसम में प्राकृतिक वर्षा का उपयोग करें, लेकिन जब बारिश न हो तो 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
लागत और बचत
टमाटर की खेती की कुल लागत निम्नानुसार होती है:
1. बीज: 200-250 ग्राम बीज की कीमत लगभग 200-300 रुपये होती है।
2. खाद और उर्वरक: लगभग 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर।
3. सिंचाई और श्रम: 5,000-7,000 रुपये प्रति हेक्टेयर।
कुल लागत: 15,200-17,300 रुपये प्रति हेक्टेयर।
शुद्ध लाभ
उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ, प्रति हेक्टेयर 30-35 टन टमाटर का उत्पादन किया जा सकता है। यदि टमाटर की बिक्री 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जाती है, तो कुल आय 3,00,000-3,50,000 रुपये होती है।
कुल बचत: 2,82,700-3,32,700 रुपये प्रति हेक्टेयर (लागत घटाने के बाद)।
बरसात के मौसम में टमाटर की खेती किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का एक अच्छा जरिया हो सकती है। उचित तकनीक और सही देखभाल के साथ, किसान इस मौसम का भरपूर लाभ उठा सकते हैं।