भगवान जगन्नाथ मंदिर के पास स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान जी की एक अद्भुत प्रतिमा है जो जंजीरों से बंधी हुई है। यह अनोखी मूर्ति भक्तों को सच्ची भक्ति और समर्पण का प्रेरणादायी संदेश देती है।
कथा का रहस्य:
कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ एक बार रथ यात्रा के दौरान समुद्र तट पर विश्राम कर रहे थे। तभी हनुमान जी, जो राम के अनन्य भक्त थे, उनसे मिलने पहुंचे। हनुमान जी का उत्साह इतना था कि वे भगवान जगन्नाथ को गले लगाने लगे। भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी के प्रेम और भक्ति को देखते हुए उन्हें शांत किया और कहा कि "वीर हनुमान, आपकी शक्ति अपार है और आपका भक्तिभाव अद्वितीय है। लेकिन मेरी रथ यात्रा में आपकी उपस्थिति भक्तों का ध्यान भंग कर सकती है। इसलिए, मैं आपसे विनती करता हूं कि आप थोड़ी देर के लिए अपनी शक्तियों को नियंत्रित करें और इन जंजीरों से बंधे रहें।"
हनुमान जी ने बिना किसी विचारे भगवान जगन्नाथ की आज्ञा का पालन किया और जंजीरों से बंध गए। तब से, हनुमान जी को "बेडी हनुमान" के नाम से जाना जाता है और उनकी यह प्रतिमा भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
सच्चे भक्त का प्रतीक:
जंजीरों में बंधे हनुमान जी हमें सच्ची भक्ति का अर्थ समझाते हैं। एक सच्चा भक्त अपने प्रभु की इच्छा का पालन सर्वोपरि मानता है, चाहे इसके लिए उसे कितना भी त्याग क्यों न करना पड़े। हनुमान जी ने अपनी असीम शक्ति और स्वतंत्रता का त्याग भगवान जगन्नाथ की भक्ति के लिए कर दिया।
आस्था का केंद्र:
आज, बेड़ी हनुमान मंदिर देशभर के हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। भक्त भगवान हनुमान की इस अनोखी प्रतिमा के दर्शन कर अपने जीवन में सच्ची भक्ति और समर्पण का भाव प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष:
जंजीरों में बंधे हनुमान जी सच्चे भक्त का प्रतीक हैं। उनकी अनंत भक्ति और समर्पण आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है।