समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के हाथों कन्नौज लोकसभा सीट हारने वाले भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार का एक बड़ा कारण पेपर लीक भी है। पाठक ने रविवार की रात सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर पेपर लीक, परीक्षा में नकल जैसे मसलों पर एक लंबा पोस्ट लिखकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में वो इच्छाशक्ति है कि पेपर लीक कुछ समय में भूली-बिसरी यादों में रह जाएगी। सुब्रत पाठक को अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट पर 1.70 लाख वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया था।
लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार के कई कारण हैं, लेकिन उनमें से एक बड़ा कारण पेपर लीक भी है। उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्ती में हुआ पेपर लीक कोई नई बात नहीं है। धीरे-धीरे देशभर के तमाम राज्यों की विभिन्न परीक्षाओं में होने वाला पेपर लीक हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है। पर मुझे खुशी है कि इस बार नीट की परीक्षा में हुआ पेपर लीक का मुद्दा राष्ट्रव्यापी बन गया है। मोदी सरकार ने पहले ही संसद में पेपर लीक पर कठोर कानून बना दिया था। साथ ही नीट की परीक्षा में हुए पेपर लीक की सीबीआई जांच के बाद अब तक देशभर में कई महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां भी जारी हैं।
आखिर क्या कारण है कि बार-बार ऐसी घटनाएं हमारे सामने आती हैं और हमारा सिस्टम इनके आगे बेबस नजर आता है? इसके लिए हमें स्वयं को समझना होगा। अंग्रेज हमारे देश को छोड़ कर चले गए, लेकिन भ्रष्टाचार को हमारी जड़ों में छोड़ गए और यह धीरे-धीरे हमारे समाज का हिस्सा बन गया। फिर हमारे देश के राजनेताओं के संरक्षण में यह भ्रष्टाचार हमारी शिक्षा व्यवस्था में भी घुस गया और इसे पूरी तरह चौपट कर दिया। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटरों की बड़ी-बड़ी इमारतों ने शिक्षा को पूरी तरह व्यापार में बदल दिया।
पूरे देश में, खासकर यूपी-बिहार में, कुछ राजनीतिक दलों और भ्रष्ट नेताओं के संरक्षण में हाई स्कूल और इंटर जैसी परीक्षाओं में नकल को संस्थागत रूप दे दिया गया और धीरे-धीरे हमारे समाज ने भी इसे स्वीकार कर लिया। अब जिसकी पढ़ाई की शुरुआत ही बेईमानी अर्थात नकल से हुई हो और वह आगे किसी पद पर पहुंच जाता है, तो उससे नैतिकता की उम्मीद भी बेमानी ही है।
आचार्य चाणक्य ने कहा था कि जिस राष्ट्र की शिक्षा मुद्राओं से बिकने लगे, उसकी बर्बादी तय है। हमारे देश में दशकों से यही चल रहा है। शिक्षा बिक रही है। लोग धन से डिग्रियां खरीद रहे हैं। हाई स्कूल, इंटर नकल से पास कर रुपयों के दम पर बड़े कॉलेजों में दाखिला और धन से डिग्री तो प्राप्त हो जाती है, लेकिन ये बिना पढ़े नकल से पास हुए और नोटों से डिग्री हासिल किए लोग जब नौकरी या प्रतियोगी परीक्षा में जाते हैं, तो सहारा पेपर लीक का ही होता है। इनके पास रुपया होता है और उस रुपए के लालच में सिस्टम के अंदर के कई लोग इन जैसे लोगों की मदद करते हैं और फिर ये लोग हमारे सिस्टम को दलदल में और धंसा देते हैं।
इस सिस्टम का खामियाजा हमारे देश के कमजोर और गरीब तबके के छात्रों को झेलना होता है। यही कारण है कि गरीब गरीब ही रह जाता है। हमारा सिस्टम उसके हिस्से की नौकरी या डिग्री को निगल जाता है। आरक्षण का लाभ भी इन नकल माफियाओं के कारण से उन नकलची बेईमानों को ही मिलता है। ऐसा नहीं है कि इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति के साथ ही विपक्ष के समर्थन की भी आवश्यकता है।
मुझे खुशी है कि इस बार जब पेपर लीक का मुद्दा राष्ट्रव्यापी बना है तो वे तमाम राजनीतिक दल जो इस भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था को संरक्षण देते रहे हैं, वे भी पेपर लीक पर सवाल उठा रहे हैं। मुझे याद है जब मैं कक्षा 4-5 का छात्र था, तब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उस समय उनका एक समाचार पत्र में कार्टून छपा था, जिसमें वे हाथ में झाड़ू पकड़े थे और नीचे A, B, C, D जैसे अक्षर पड़े थे। मतलब वे उस समय अंग्रेजी और कंप्यूटर का विरोध करते थे। जिस कारण से मेरे समय के मेरे जैसे आम लोगों की प्राथमिक शिक्षा में अंग्रेजी और कंप्यूटर न होने से हम लोग इस शिक्षा से वंचित रह गए।