नई दिल्ली: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस बार का प्रदोष व्रत विशेष योग और संयोग के कारण और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस विशेष योग में शिव भक्तों को दोगुना फल प्राप्त होगा। आइए जानें इस प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और विशेष महत्व के बारे में।
प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त: इस बार का प्रदोष व्रत 5 जुलाई 2024 को पड़ रहा है। यह व्रत कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। व्रत का आरंभ 5 जुलाई को प्रातः 7:30 बजे से होगा और इसका समापन 6 जुलाई को प्रातः 4:15 बजे होगा। प्रदोष काल का समय शाम 6:45 बजे से रात 8:45 बजे तक रहेगा, जो शिव पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
विशेष योग और संयोग: इस प्रदोष व्रत पर विशिष्ट योग और संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बना रहे हैं। इस दिन "सर्वार्थ सिद्धि योग" और "अमृत सिद्धि योग" का संयोग है। इन विशेष योगों में शिव की आराधना करने से भक्तों को दोगुना फल प्राप्त होता है। यह समय इच्छाओं की पूर्ति और समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व: प्रदोष व्रत शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने और शिव की आराधना करने से समस्त कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। शिव पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव पूजा विधि:
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल चढ़ाएं।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक और सफेद फूल चढ़ाएं।
- धूप-दीप जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें।
- शिव मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का 108 बार जाप करें।
- शिव आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
विशेष सुझाव:
प्रदोष व्रत के दिन विशेष योग और संयोग का लाभ उठाने के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत करें। इस दिन का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस विशेष अवसर पर शिव की आराधना से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। सभी शिव भक्तों को इस प्रदोष व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!