नई दिल्ली, 7 जुलाई 2024 - नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में लोको पायलट्स की जीवन-रेखा पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात लोको पायलट्स अपने कामकाज की स्थितियों से बेहद परेशान हैं और वे दिन-प्रतिदिन शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
लोको पायलट्स का कहना है कि वे 16-16 घंटे तक लगातार काम करने के लिए मजबूर हैं, और उन्हें किसी भी प्रकार की बेसिक सुविधाएं, जैसे यूरिनल, तक मुहैया नहीं कराई जातीं। गर्मी से खौलते केबिन में बैठकर काम करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
नरेंद्र मोदी की सरकार में लोको पायलट्स के जीवन की रेल पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 7, 2024
गर्मी से खौलते केबिन में बैठ कर लोको पायलट्स 16-16 घंटे काम करने को मजबूर हैं।
जिनके भरोसे करोड़ों ज़िंदगियां चलती हैं, उनकी अपनी ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं रह गया है।
यूरिनल जैसी बेसिक… pic.twitter.com/nwiG72cBv7
"हमारी जिम्मेदारी करोड़ों यात्रियों की सुरक्षा और उनकी यात्रा को समय पर पूरा करने की है," एक लोको पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा। "लेकिन हमारी खुद की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं रह गया है। न तो हमारे काम के घंटों की कोई लिमिट है, न ही हमें नियमित छुट्टी मिलती है। यह शारीरिक और मानसिक रूप से हम पर भारी पड़ रहा है।"
स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई लोको पायलट्स विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। काम की अधिकता और सुविधाओं के अभाव में वे न सिर्फ खुद की जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है।
लोको पायलट्स के संगठन और यूनियनों ने कई बार सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अगर इसी तरह की स्थितियां बनी रहीं तो आने वाले समय में ट्रेनों के परिचालन में गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द लोको पायलट्स की समस्याओं का समाधान निकाले और उन्हें बेहतर कामकाज की स्थितियां प्रदान करे, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा सकें और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।