हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार की नाग पंचमी विशेष महत्त्व रखती है क्योंकि इस दिन दो अद्भुत संयोग बन रहे हैं, जो भक्तों के लिए अत्यंत शुभ संकेत माने जा रहे हैं।
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा का विशेष महत्त्व है। इस दिन भक्तजन नाग देवता की पूजा-अर्चना कर उनसे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष नाग पंचमी पर बनने वाले दो अद्भुत संयोग भक्तों के जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार करेंगे।
पहला संयोग ग्रहों की विशेष स्थिति से संबंधित है। इस दिन चंद्रमा और मंगल का विशेष योग बन रहा है, जो नाग देवता की पूजा को और भी अधिक प्रभावी बनाएगा। इस योग के प्रभाव से भक्तों को अपने कार्यों में सफलता और जीवन में स्थायित्व मिलेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस संयोग के कारण भूमि, संपत्ति और वित्तीय मामलों में लाभ प्राप्त होगा।
दूसरा अद्भुत संयोग नाग पंचमी के दिन पड़ने वाली शुभ योग तिथि है। इस तिथि को पंचमी का योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग बना है, जो अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इस शुभ योग में नाग देवता की पूजा करने से सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्तजन इस दिन विशेष रूप से नाग देवता को दूध, चावल और दूर्वा अर्पित करते हैं, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पंडितों का कहना है कि इस विशेष संयोग में नाग पंचमी पर पूजा करने से कालसर्प दोष और अन्य ग्रह दोषों का निवारण होता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं। इस दिन पूजा करने वाले भक्तों को नाग देवता की कृपा से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी का यह पर्व भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी है। इस दिन पूजा-अर्चना कर नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरपूर बनाएं। इन दो अद्भुत संयोगों के प्रभाव से भक्तों के अच्छे दिन आने वाले हैं, और उनके जीवन में खुशियों का संचार होगा।