महाभारत, हिंदू धर्म का एक महान और पवित्र महाकाव्य, अपने आप में अनेक रहस्यों और अद्वितीय घटनाओं को समेटे हुए है। इनमें से एक रहस्यमयी घटना है, भाई-बहन का विवाह। इस घटना के बारे में जानकर अधिकांश लोग चौंक जाते हैं और सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि भगवान कृष्ण ने इस विवाह पर विरोध क्यों नहीं किया। इस रहस्य का उद्घाटन करने के लिए हमें महाभारत की गहराइयों में जाना होगा।
घटना का विवरण
महाभारत के अनुसार, इस घटना में वसु, जोकि एक महान योद्धा और प्रतिष्ठित राजा थे, और उनकी बहन, सत्या का विवाह हुआ था। वसु और सत्या दोनों ही धर्म और नीति के प्रति अत्यंत समर्पित थे, और उनके इस विवाह का उद्देश्य भी धर्म और नीति को बनाए रखना था। यह घटना एक असाधारण और अद्वितीय परंपरा का प्रतीक थी, जिसमें समाज की प्रचलित मान्यताओं और नियमों से हटकर एक नई दिशा की ओर इशारा किया गया था।
कृष्ण की चुप्पी का कारण
भगवान कृष्ण, जोकि महाभारत के सबसे प्रमुख और प्रभावशाली पात्र हैं, इस विवाह के समय मौन रहे। कृष्ण की चुप्पी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
धर्म और नीति का पालन: कृष्ण ने हमेशा धर्म और नीति का पालन करने पर जोर दिया है। वसु और सत्या का विवाह धर्म और नीति के प्रति उनकी समर्पण की प्रतीक था। कृष्ण ने इस विवाह को एक उच्चतम धार्मिक और नैतिक कर्तव्य के रूप में देखा और इसलिए उन्होंने इसका विरोध नहीं किया।
समाज सुधार: कृष्ण का जीवन समाज सुधार के उद्देश्यों से भरा हुआ था। उन्होंने कई बार समाज की प्रचलित मान्यताओं और नियमों को चुनौती दी है। भाई-बहन के विवाह को स्वीकार करके, उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि सच्चा धर्म और नीति किसी भी सामाजिक बंधनों से ऊपर होते हैं।
कर्म और कर्तव्य: महाभारत के युद्ध के दौरान, कृष्ण ने अर्जुन को कर्म और कर्तव्य का पाठ पढ़ाया था। वसु और सत्या का विवाह उनके कर्तव्य और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक था। कृष्ण ने इस विवाह को एक उदाहरण के रूप में देखा कि कैसे व्यक्ति को अपने कर्तव्य और धर्म के प्रति समर्पित रहना चाहिए।