मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश - शासन द्वारा जारी आदेश के तहत अब होटल, ढाबा और फलों की रेहड़ी पर मालिक के नाम को स्पष्ट रूप से लिखकर टांगना अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय विशेष रूप से एक वर्ग और धर्म को निशाना बनाने के उद्देश्य से उठाया गया कदम माना जा रहा है।
इस नियम को लेकर जब कांवरियों से बातचीत की गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें हिन्दू-मुस्लिम से कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा, "हमें जो भी प्यार से खिला पिला देता है, हम खा लेते हैं। धर्म के नाम पर हम किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते।"
कांवरिया कह रहे हैं कि हमें मुसलमान से कोई दिक्कत नहीं
— Bhanu Nand (@BhanuNand) July 20, 2024
मतलब अंधभक्तों को गुप्त रोग है? pic.twitter.com/F5B1Suy5ZA
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता भानु नंद ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "यह नियम स्पष्ट रूप से संविधान के खिलाफ है और यह देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला है। अंधभक्तों को गुप्त रोग हो गया है, जो समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।"
कई राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठनों ने भी इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है, जो किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की बात करता है।
कांवर यात्रा के दौरान इस प्रकार के विभाजनकारी नियम से समाज में तनाव बढ़ने का खतरा है। स्थानीय प्रशासन को इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ताकि समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।