लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम 4 जून को घोषित किए गए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने सत्ता में आने का दावा किया। हालांकि, यह चुनावी जीत विवादों के घेरे में आ गई है। "वोट फ़ोर डेमोक्रेसी" नामक संस्था ने चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों का गहन अध्ययन किया और एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है, जिससे यह खुलासा हुआ है कि करीब 4.65 करोड़ वोटों की हेराफेरी के कारण केंद्र में भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक और जनतांत्रिक गठबंधन (I.N.D.I.A) की सरकार बनने से रह गई।
रिपोर्ट के अनुसार, 79 सीटों पर जहां भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, वहाँ वास्तविक मतदान संख्या से अधिक वोटों की गणना की गई। यदि यह कथित हेराफेरी नहीं होती, तो I.N.D.I.A. की सरकार बनना निश्चित था। यह आरोप है कि लगभग 5 करोड़ अतिरिक्त वोट भाजपा की जीत का आधार बने।
"वोट फ़ोर डेमोक्रेसी” नामक संस्था ने चुनाव आयोग के द्वारा जारी आँकड़ों का गहन अध्ययन कर जो रिपोर्ट जारी की है वो निश्चित रूप से लोकतंत्र व देशवासियों के साथ किए गए धोखे और संविधान के प्रति गंभीर अपराध की और इशारा करती है।
— Bhandari S.INC 🇮🇳 (@s_bhandari2) July 28, 2024
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केंद्रीय चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पहले से ही सवालों के घेरे में थी, लेकिन इस रिपोर्ट ने आयोग की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। "वोट फ़ोर डेमोक्रेसी" की रिपोर्ट ने यह भी संकेत किया है कि चुनाव आयोग ने इस हेराफेरी का संज्ञान नहीं लिया और चुनाव परिणामों की जांच नहीं कराई।
यह मामला इस समय राजनीति और मीडिया में गरमा-गर्म चर्चा का विषय बना हुआ है। कई विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक इस रिपोर्ट की सच्चाई और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले प्रभावों पर विचार कर रहे हैं। आदरणीय श्री श्रवण गर्ग का विश्लेषण इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा कर रहा है, जो इस समय पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
समाज में इस रिपोर्ट के प्रति प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है, और कई लोगों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। यह मामला लोकतंत्र की मजबूती और चुनावी निष्पक्षता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।