उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष, किन्नर सोनम चिश्ती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल को दिए अपने इस्तीफे में कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार से वह आहत हैं और इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रही हैं। हालांकि, वह संगठन के लिए काम करना जारी रखेंगी। इसके अलावा, पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है।
सोनम चिश्ती ने वर्ष 2021 में समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी जॉइन की थी और बाद में उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष बनीं। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी मिला। शुक्रवार की शाम, उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा सौंपा। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि वह राज्यमंत्री रहते हुए जनता के बीच बीजेपी को मजबूत नहीं कर पाईं, जिससे वह बहुत व्यथित हैं। इसलिए उन्होंने सरकारी पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
मीडिया से बातचीत के दौरान, सोनम ने आरोप लगाया कि किन्नरों के कल्याण के लिए आए बजट को अधिकारियों ने भ्रष्टाचार करके हड़प लिया। उन्होंने कहा कि अधिकारी उनकी बातें नहीं सुनते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सपा सरकार के समय उनके राज्य संपत्ति के मकान का 12 लाख रुपये का बकाया है, जिसका नोटिस उन्हें दिया गया है। पिछले दो साल से उनके सरकारी आवास का किराया भी जमा नहीं हुआ है, जो करीब 2 लाख रुपये बकाया है। किन्नर कल्याण बोर्ड की बैठक में भी अधिकारी उनकी बातें नहीं सुनते और बजट का सही तरीके से उपयोग नहीं होता है।
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— INC News (@TheIncNews) July 19, 2024
उत्तरप्रदेश में खेला शुरू 🔥🔥🔥🔥🔥
दोस्तों , मंत्री "सोनम किन्नर" ने इस्तीफा दे दिया और -
इस्तीफा के साथ योगी सरकार की पोल खोल दी , बोले -
हर विभाग में खूब भ्रस्टाचार और घोटाला हो रहा है बड़े-बड़े मंत्री भी इसमें शामिल। ........
RT रुकना नहीं चाहिए pic.twitter.com/Thrcwzrysg
इन आरोपों के जवाब में, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि सोनम चिश्ती के आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि जब भी सोनम से किन्नर कल्याण के लिए कार्यक्रमों की सूची देने को कहा जाता है, तो वह इसे गंभीरता से नहीं लेती हैं। किराये का भुगतान कल्याण बोर्ड के बजट से नहीं किया जा सकता है, इसका कोई प्रावधान नहीं है। किराया खुद देना होता है। उन्होंने कहा कि हर जिले को किन्नर कल्याण के प्रचार के लिए दिए जाने वाले 35,000 रुपये के खर्च की जांच रिपोर्ट मांगी गई है, और इससे संबंधित कोई समस्या हो सकती है।
सोनम चिश्ती के इस कदम से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। उनके इस्तीफे और भ्रष्टाचार के आरोपों से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या इन आरोपों की जांच होगी और क्या सरकार कोई सख्त कदम उठाएगी, यह देखना बाकी है। जनता अब इस मामले में निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग कर रही है।