नंदी, जिन्हें नंदीश्वर और वृषभ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में भगवान शिव के वाहन और उनके सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। नंदी की भक्ति और समर्पण की कहानियां प्राचीन काल से ही प्रचलित हैं। एक प्रमुख सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है, वह है: नंदी का मुंह हमेशा शिवलिंग की ओर क्यों रहता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नंदी एक बहुत ही शक्तिशाली और समर्पित भक्त थे। उनकी भक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने अपनी सारी शक्तियाँ और ऊर्जा भगवान शिव की सेवा में समर्पित कर दी। एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक समय में नंदी ने कठोर तपस्या की थी और अपनी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वाहन और द्वारपाल बनाया। इसके पश्चात, नंदी ने संकल्प लिया कि वे हमेशा भगवान शिव के सानिध्य में रहेंगे और उनकी ओर मुंह करके बैठेंगे, ताकि वे हर समय अपने आराध्य के दर्शन कर सकें और उनकी सेवा कर सकें।
इस भक्ति की कहानी का एक और पहलू यह भी है कि नंदी का शिवलिंग की ओर मुंह रखना एक प्रतीकात्मक महत्व भी रखता है। यह भगवान शिव और उनके भक्त के बीच के अटूट और अटूट संबंध का प्रतीक है। नंदी की यह स्थिति यह दर्शाती है कि सच्चा भक्त हमेशा अपने आराध्य के सामने रहता है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली या महत्वपूर्ण क्यों न हो। यह भगवान शिव के प्रति नंदी की असीम भक्ति और समर्पण का एक उदाहरण है।
नंदी की भक्ति की यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण में कितनी शक्ति होती है। यह हमें यह भी बताती है कि भगवान के प्रति समर्पण और सेवा का महत्व कितना बड़ा होता है। नंदी का उदाहरण हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपने जीवन में भक्ति और समर्पण के महत्व को समझें और अपने आराध्य के प्रति सच्ची श्रद्धा और प्रेम रखें।
इस प्रकार, नंदी का हमेशा शिवलिंग की ओर मुंह रखना उनके गहरे भक्ति और भगवान शिव के प्रति असीम समर्पण का प्रतीक है। यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण में वह शक्ति होती है, जो हमें भगवान के समीप ला सकती है और हमें उनकी कृपा का पात्र बना सकती है।