मेरठ: भगवान शिव के भक्तों की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक बार फिर उन लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है जो भक्ति और श्रद्धा को शांति और सौहार्द्र के प्रतीक मानते हैं। हाल ही में मेरठ में कांवर के खंडित होने पर कांवरियों द्वारा की गई हिंसा ने सबको चौंका दिया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कार की साइड लगने के बाद कांवरियों ने गाड़ी को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया और एक युवक को बेरहमी से पीटा, जिससे वह अधमरा हो गया।
घटना उस समय हुई जब एक कार की साइड से कांवर खंडित हो गया। इसके बाद कांवरियों ने गाड़ी पर हमला कर दिया और कार को पूरी तरह से तोड़ डाला। इस हिंसा की वजह से कार सवारों में से एक युवक को गंभीर चोटें आईं और उसकी हालत गंभीर हो गई। वीडियो में देखा जा सकता है कि कांवरियों ने युवक को लाठियों और घूसों से पीटा, जिससे उसकी स्थिति बहुत ही खराब हो गई।
इस प्रकार की घटनाएं अब कोई नई बात नहीं रह गई हैं। हर साल कांवर यात्रा के दौरान ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन इन पर कोई ठोस कदम उठाया नहीं जाता। सरकार और पुलिस की निष्क्रियता ने लोगों में आक्रोश को जन्म दिया है। यह सवाल उठता है कि क्या भक्ति के नाम पर हिंसा और उपद्रव को बढ़ावा देना उचित है?
कांवर यात्रा के दौरान श्रद्धालु शांति और भक्तिभाव से यात्रा करते हैं, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इस धार्मिक यात्रा का गलत फायदा उठाते हैं। भक्ति के नाम पर हिंसा और उपद्रव का यह सिलसिला अब चिंता का विषय बन गया है। समाज में बढ़ती असहिष्णुता और क्रोध की भावना को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार और पुलिस इस पर प्रभावी कदम उठाएं और ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
वीडियो मेरठ का है। कार सवार पर आरोप लगा कि कार की साइड लगने से कांवड़ खंडित हो गई है। उसके बाद कांवड़ियों ने कार को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। कार सवारों में से एक युवक को बेरहमी से पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। हर दिन यह घटनाएं हो रही हैं, लेकिन एक्शन? pic.twitter.com/k4wzEsN8Kj
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) July 26, 2024
हाल ही में, सरकार और पुलिस की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस चुप्पी ने लोगों के मन में सवाल उठाए हैं कि क्या भगवान की भक्ति और श्रद्धा के नाम पर हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है? यदि किसी की गलती से कांवर खंडित हो जाए तो क्या इसे हिंसा और उपद्रव का कारण बनाना उचित है? कहीं न कहीं, समाज में एक गलत संदेश जा रहा है कि कानून और व्यवस्था को हाथ में लेकर स्वयं न्याय करना सही है।
सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे असामाजिक तत्वों पर नजर रखें और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकें। इस समय समाज को एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाने की आवश्यकता है ताकि धर्म के नाम पर हो रही हिंसा को रोका जा सके।
भगवान शिव के भक्तों को चाहिए कि वे अपने व्यवहार और क्रियाओं से भक्ति और श्रद्धा का सही संदेश फैलाएं, न कि हिंसा और उपद्रव के माध्यम से। यह समय है कि समाज एक नई दिशा की ओर बढ़े, जहां धर्म और श्रद्धा का सम्मान हो और हिंसा का कोई स्थान न हो।