नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 9 जुलाई को सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया है। इस निर्णय से संबंधित सभी दस्तावेज और फाइलें अब ‘गोपनीय’ श्रेणी में रखी गई हैं।
गृह मंत्रालय ने ‘विभागीय सुरक्षा निर्देशों की नियमावली’ के तहत फाइलों को ‘अति गोपनीय’, ‘गुप्त’, ‘गोपनीय’ और ‘प्रतिबंधित’ श्रेणियों में वर्गीकृत करने का प्रावधान किया है।
एक पूर्व नौकरशाह के अनुसार, उन फाइलों को गोपनीय श्रेणी में रखा जाता है जो ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रहित’ से संबंधित होती हैं।
9 जुलाई के कार्यालयीन ज्ञापन को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की स्थापना खंड की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया है, हालांकि इसके संबंधित दस्तावेजों को गुप्त रखा गया है।
यह निर्णय तब लिया गया जब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस प्रतिबंध को चुनौती देने वाली एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से इस कार्यालयीन ज्ञापन की सामग्री को सार्वजनिक करने और इसे 15 दिनों के भीतर सभी केंद्रीय विभागों और उपक्रमों को भेजने का निर्देश दिया था।
गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि कार्यालय ज्ञापन की एक प्रति मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए, लेकिन संबंधित फाइल को गोपनीय सूची में ही रखा गया है।