मेरठ, 25 जुलाई 2024: मेरठ के मशहूर शाकाहारी होटल 'झंकार' में पिछले कुछ दिनों से एक विवादास्पद घटना ने शहर का ध्यान आकर्षित किया है। होटल के मालिक भगत सिंह ने 22 जुलाई से 2 अगस्त तक चल रहे नॉन वेज परोसने पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, मांस के व्यंजन परोसने की अनुमति दी। इस घटना ने न केवल होटल की छवि को धक्का पहुँचाया है, बल्कि स्थानीय प्रशासन के नियमों और आदेशों की भी धज्जियाँ उड़ाई हैं।
झंकार होटल, जो अपनी शाकाहारी पकवानों के लिए जाना जाता है, ने अपने मेन्यू में अचानक मांसाहारी व्यंजन शामिल किए, जिसका खुलासा तब हुआ जब कुछ कांवड़ यात्री कांवड़ मार्ग पर भोजन करने पहुंचे। इन यात्रियों ने मांस के व्यंजन देखे और इसकी शिकायत प्रशासन से की, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया।
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— Kavish Aziz (@azizkavish) July 26, 2024
कांवड़ मार्ग पर भगत जी लगा रहे थे मांस का तड़का..
मेरठ में झंकार नाम से शाकाहारी होटल है जिसका मालिक भगत सिंह है।
इस होटल में नॉन वेज परोसा जाता है जबकि 22 जुलाई से 2 अगस्त तक नॉन वेज परोसने के लिए अधिकारियों ने मना किया था pic.twitter.com/5bEi8c2RI3
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि 22 जुलाई से 2 अगस्त तक कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक मान्यता के अनुसार मांसाहारी भोजन परोसने पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। यह आदेश क्षेत्रीय शांति और श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया था। लेकिन भगत सिंह ने इन आदेशों की अनदेखी करते हुए अपने होटल में मांसाहारी भोजन परोसना जारी रखा।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि भगत सिंह ने होटल के मेन्यू में मांसाहारी व्यंजन जोड़ने की जानकारी छिपाकर रखी थी। होटल के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि भगत जी ने उन्हें आदेश दिया था कि किसी भी ग्राहक को मांसाहारी व्यंजन परोसने से पहले उन्हें इसके बारे में बताना न जाए।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय प्रशासन ने होटल पर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। भगत सिंह को नोटिस जारी किया गया है और उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, होटल की परिचालन अनुमति पर भी सवाल उठाए गए हैं।
इस विवाद के बाद, झंकार होटल की लोकप्रियता पर नकारात्मक असर पड़ा है और स्थानीय समुदाय में भी रोष है। भगत सिंह ने अपने व्यवहार के लिए सार्वजनिक माफी मांगी है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि भविष्य में वे नियमों का पालन करेंगे।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक गतिविधि के दौरान नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण है, और इसकी अनदेखी करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।