जिला एटा: एटा जिले में CHO पद पर कार्यरत बरखा ने अपने साथ हो रहे मानसिक और शारीरिक शोषण का खुलासा किया है। बरखा का आरोप है कि वहां के CMO और विभाग के अन्य अधिकारी न केवल उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं, बल्कि जातिवादी सोच के तहत अपमानित भी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि शारीरिक शोषण का प्रयास भी कई बार किया गया है। इस गंभीर मामले में बरखा ने वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बरखा का कहना है कि जब से उन्होंने एटा जिले में CHO के रूप में कार्यभार संभाला है, तब से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि CMO और अन्य अधिकारियों ने शुरुआत में ही उनके साथ अभद्र व्यवहार करना शुरू कर दिया था। मानसिक शोषण की घटनाएं तब और बढ़ गईं जब उन्होंने अपनी जाति के बारे में खुलासा किया। अधिकारियों ने उन्हें जातिवादी टिप्पणियों का शिकार बनाया और कई बार अपमानित भी किया।
बरखा ने बताया कि मानसिक शोषण के अलावा, उन्हें शारीरिक शोषण का भी प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि एक बार तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें अपने कक्ष में बुलाकर गलत तरीके से छूने की कोशिश की। इस घटना के बाद उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया, लेकिन उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया।
बरखा जिला एटा में CHO पद पर कार्यरत हैं वहां के cmo एवम विभाग के अन्य अधिकारीओ द्वारा मानसिक शोषण तथा जातिवादी सोच के तहत अपमानित किया जाता है शारीरिक शोषण करने का भी प्रयास किया गया है कई बार वरिष्ठ अधिकारीओ से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई @dmetah @UPGovt @Uppolice pic.twitter.com/PNji8ApuFZ
— 𝗝𝗮𝘁𝗮𝘃'𝙨 𝗼𝗳 𝗜𝗡𝗗𝗜𝗔 (@Jatav_of_India) July 25, 2024
बरखा का कहना है कि उन्होंने इन घटनाओं की जानकारी कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को दी, लेकिन हर बार उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनके साथ हो रहे शोषण की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया गया और अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
बरखा ने अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि वे अब चुप नहीं बैठेंगी और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगी। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
बरखा का मामला न केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष है, बल्कि यह समाज में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई भी है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक महिला अधिकारी अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है और अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वरिष्ठ अधिकारी और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या बरखा को न्याय मिल पाता है या नहीं। बरखा की लड़ाई केवल उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो किसी न किसी रूप में अन्याय का सामना कर रहे हैं।