**अनुराग ठाकुर का जाति पर बयान: अशोक वानखेड़े ने उगला अपना गुस्सा**
दिल्ली: भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के एक बयान ने संसद में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। ठाकुर ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जाति पर टिप्पणी की, जिसे लेकर वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वानखेड़े ने ठाकुर को 'बदतमीज' करार देते हुए उनकी जाति संबंधी टिप्पणी को 'मनुस्मृति वाली मानसिकता' का प्रतीक बताया है।
वानखेड़े ने ठाकुर के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "अनुराग ठाकुर एक बदतमीज इंसान हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। जाति पूछने पर इनकी मनुस्मृति वाली मानसिकता सबके सामने जाहिर हो गयी है। आज इसने अपना असली रंग दिखा दिया है।" वानखेड़े का यह बयान ठाकुर के उस बयान के संदर्भ में आया है जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की जाति को लेकर सवाल उठाया था।
वानखेड़े ने यह भी कहा कि अच्छा हुआ कि जनता ने ठाकुर को 370 सीट नहीं दी, वरना संविधान खत्म होता और मनुस्मृति लागू होती। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसी स्थिति में ठाकुर केवल स्वर्ण जातियों को ही टिकट देते और दलित-पिछड़े वर्ग के लोगों को टिकट भी नहीं मिलते।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) July 31, 2024
अनुराग ठाकुर ने संसद में @RahulGandhi जी की जाति पर बोला तो वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने धागे खोल दिये,
अनुराग ठाकुर एक बदतमीज इंसान हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है
जाति पूछने पर इनकी मनुस्मृति वाली मानसिकता सबके सामने जाहिर हो गयी है, आज इसने अपना असली रंग… pic.twitter.com/rWsXFq5nZk
उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान की सराहना की, जो समाज के हर वर्ग को समान अधिकार प्रदान करता है। वानखेड़े ने कहा, "बाबा साहेब के संविधान ने इतनी ताकत दी है कि एक रास्ते का भिखारी चाय बेचने वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। जाति पूछ कर ठाकुर ने बाबा साहेब के संविधान को ललकारा है।"
वानखेड़े ने जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिल सकें। उनका मानना है कि संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है और इसे मोदी के महिमामंडन की जगह नहीं, बल्कि देश की हर समस्या पर चर्चा करने का स्थान होना चाहिए।
उन्होंने राहुल गांधी की तुलना चक्रव्यूह के अभिमन्यु से करते हुए कहा, "राहुल गांधी जी इस चक्रव्यूह के अभिमन्यु नहीं हैं, वे अर्जुन हैं और वे इस चक्रव्यूह को भेद कर दिखायेंगे।"
वानखेड़े के इस बयान ने राजनीति में नई बहस छेड़ दी है और जाति आधारित राजनीति के प्रति गंभीर सवाल खड़े किए हैं।