सिणधरी की रहने वाली 25 वर्षीय अनिता ने हाल ही में एक सड़क दुर्घटना के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनके द्वारा किए गए अंगदान से चार लोगों की जिंदगी में नई उम्मीद जगी है। इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल अनिता और उनके बच्चे को जोधपुर के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों ही आईसीयू में थे और चिकित्सकों ने पाया कि अनिता का ब्रेन डेड हो चुका है।
चिकित्सकों ने दो बार ब्रेन डेड की पुष्टि की और परिजनों को अंगदान की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। परिजनों ने इस नेक काम के लिए अपनी सहमति दी, जिसके बाद एम्स जोधपुर ने अंगदान के लिए रीजनल सेंटर से संपर्क किया। अंगदान के लिए ब्रेन की डिटेल्स भेजी गई और यह देखा गया कि कौन से अंग किस मरीज के लिए उपयुक्त होंगे।
अनिता ने दुनिया को अलविदा कहकर चार लोगों को नई जिंदगी दे दी...
— Dinesh Bohra (@dineshbohrabmr) July 28, 2024
सिणधरी की रहने वाली अनिता कुछ दिन पूर्व सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई थी। जब से अनीता और उनके बच्चे को जोधपुर एम्स लाया गया था, दोनों ही आईसीयू में एडमिट थे। जांच में अनीता का ब्रेन डेड पाया गया। चिकित्सको ने दो बार… pic.twitter.com/IdFKClkSeW
सभी आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद, अनिता की एक किडनी और लिवर जोधपुर के मरीजों को ट्रांसप्लांट किया गया, जबकि हार्ट और दूसरी किडनी को जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल भेजा गया। इस प्रक्रिया के माध्यम से अनिता ने चार लोगों की जान बचाई, जिससे उनके परिवार और समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है।
इस घटना से यह संदेश मिला है कि अगर किसी व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाए, तो अंगों के काम करना बंद कर देने से पहले उनका दान किया जाना चाहिए। इस तरह से कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। अनिता ने अपनी असामयिक मृत्यु के बावजूद समाज को यह सीख दी है कि अंगदान एक महान कार्य है जो कई लोगों के जीवन को नई दिशा दे सकता है।
आज हम सभी को अनिता की इस पुण्य आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए और उनके इस नेक कार्य को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा लेनी चाहिए। शत-शत नमन इस महान आत्मा को, जिन्होंने अपनी अंतिम यात्रा के दौरान भी मानवता की सेवा की।