वृंदावन, मथुरा: भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक, वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर, अपनी भव्यता और अद्भुत कथाओं के लिए जाना जाता है। 150 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह मंदिर, 2012 में जगद्गुरु कृपालु महाराज के मार्गदर्शन में बनकर तैयार हुआ था।
निर्माण और स्थापत्य:
- प्रेम मंदिर, 54 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है, और इसका निर्माण इटली के सफेद संगमरमर से किया गया है।
- मंदिर का मुख्य मंडप 105 फीट ऊँचा और 102 फीट चौड़ा है, और इसमें 94 कलाकृतियों से सुसज्जित स्तंभ हैं।
- मंदिर के गर्भगृह में राधा गोविंद जी और सीता राम की मूर्तियां स्थापित हैं।
- मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को दर्शाती झांकियां, फव्वारे, और मनमोहक बगीचे भी हैं।
मान्यताएं:
- प्रेम मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- विवाह योग्य युवक-युवतियों को शीघ्र विवाह होने की मान्यता है।
- दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि के लिए भी यहां प्रार्थना की जाती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी यह मंदिर प्रसिद्ध है।
मंदिर की विशेषताएं:
- प्रेम मंदिर अपनी प्रकाश व्यवस्था के लिए भी जाना जाता है।
- शाम को, मंदिर रंगीन रोशनी से जगमगा उठता है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
- मंदिर परिसर में संगीत और भजन का आयोजन भी नियमित रूप से किया जाता है।
- हिंदू धर्म के सभी त्योहार यहां बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।
प्रेम मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति का भी एक उत्कृष्ट नमूना है। यह मंदिर हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
आने का समय:
- प्रेम मंदिर सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
- सोमवार को मंदिर बंद रहता है।
कैसे पहुंचें:
- प्रेम मंदिर वृंदावन के केंद्र में स्थित है, और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- वृंदावन मथुरा से 15 किलोमीटर दूर है, और दिल्ली, आगरा, जयपुर और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- आप ट्रेन, बस, टैक्सी या ऑटो द्वारा वृंदावन पहुंच सकते हैं।
प्रेम मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से आपको आध्यात्मिक आनंद और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगी।
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