एक घने जंगल में, दो चिड़ियाँ रहती थीं। इनका नाम था रानी और मीना। रानी मेहनती और लगनशील थी, जबकि मीना आलसी और सुस्त। रानी हर दिन सुबह जल्दी उठकर, अपने घोंसले के लिए भोजन इकट्ठा करती थी। वहीं, मीना देर तक सोती रहती थी और जब उठती थी तो केवल आसान तरीके से भोजन ढूंढने की कोशिश करती थी।
एक दिन, जंगल में भयंकर तूफान आ गया। तूफान इतना तेज था कि रानी और मीना का घोंसला उजड़ गया। रानी घबराई नहीं, उसने तुरंत एक मजबूत पेड़ की शाखा पर नया घोंसला बनाना शुरू कर दिया। मीना घबराकर इधर-उधर उड़ने लगी, लेकिन उसे कोई ठिकाना नहीं मिला। अंत में, थककर वह जमीन पर बैठ गई और रोने लगी।
रानी ने मीना को रोते हुए देखा तो उसके पास गई और बोली, "मीना, रोने से कुछ नहीं होगा। हमें मिलकर एक नया घोंसला बनाना होगा।" मीना ने नाक मसोंटकर कहा, "मैं थक गई हूँ, मैं काम नहीं कर सकती।" रानी ने हार नहीं मानी, उसने मीना को समझाया, "मीना, आलस्य हमें कहीं नहीं ले जाएगा। हमें मेहनत करनी होगी, तभी हम ठीक रह पाएंगी।"
रानी की बातों का मीना पर असर हुआ। उसने भी रानी के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, दोनों ने मिलकर एक मजबूत और सुंदर घोंसला बना लिया। जब तूफान थमा तो मीना बहुत खुश हुई। उसने रानी को गले लगाकर कहा, "रानी, तुमने मेरी जान बचा ली। मैं अब कभी आलसी नहीं रहूंगी।"
इस घटना के बाद, मीना पूरी तरह से बदल गई। वह अब रानी की तरह मेहनती और लगनशील बन गई। दोनों मिलकर खुशी-खुशी रहने लगीं।
कहानी की शिक्षा:
- आलस्य बुरी आदत है, इसे त्याग देना चाहिए।
- मेहनत और लगन से ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
- मुश्किलों में भी हार नहीं माननी चाहिए।
- दोस्तों का साथ हमें मुश्किलों से उबरने में मदद करता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि आलस्य हमारे जीवन में कई मुश्किलें पैदा कर सकता है। हमें हमेशा मेहनत और लगन से काम करना चाहिए। तभी हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।