सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक महत्वपूर्ण झटका देते हुए कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि "कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के मालिकों को दुकानों के बाहर नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।"
यह मामला तब प्रकाश में आया जब महुआ मोइत्रा और एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश दुकानदारों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यूपी सरकार के इस आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लग गई है, जिससे कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को अपने दुकानों के बाहर नाम प्लेट लगाने की अनिवार्यता से छूट मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि न्यायपालिका लोकतंत्र में अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त है। अब देखना होगा कि यूपी सरकार इस फैसले के खिलाफ किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और आगे क्या कदम उठाती है।
आपको सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय कैसा लगा? क्या यह आपको सरकार के आदेश के खिलाफ सही कदम लगता है?