मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना, शोक और स्मरण का महीना है। यह पैगंबर मुहम्मद के परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से उनके पोते इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है।
यह त्यौहार दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसकी कुछ रीति-रिवाज और परंपराएं ऐसी हैं जिन्हें हर हिंदू को भी जानना चाहिए।
1. मुहर्रम का महत्व:
मुहर्रम केवल शोक का महीना नहीं है, बल्कि यह बलिदान, धैर्य और न्याय के लिए भी खड़ा है। यह महीना हमें सिखाता है कि हमेशा सच के लिए खड़े रहना चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो।
2. ताजिया:
मुहर्रम के दौरान, ताजिया नामक भव्य मकबरे जुलूस में निकाले जाते हैं। ये मकबरे इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों की शहादत का प्रतीक हैं।
3. मातम:
मुहर्रम के दौरान, लोग मातम मनाते हैं, जिसमें सीना पीटना, मातम करना और इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत पर शोक व्यक्त करना शामिल है।
4. नोहा:
नोहा शोकाक गीत हैं जो इमाम हुसैन की शहादत की कहानी सुनाते हैं। ये गीत अक्सर मातम के दौरान गाए जाते हैं।
5. खैरात:
मुहर्रम के दौरान, लोग खैरात करते हैं, यानी गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और धन दान करते हैं। यह दान पुण्य का एक कार्य माना जाता है और यह हमें उन लोगों की मदद करने की याद दिलाता है जो कम भाग्यशाली हैं।
6. अशूरा:
मुहर्रम का 10वां दिन अशूरा के रूप में जाना जाता है। यह वह दिन है जब इमाम हुसैन और उनके परिवार को कर्बला की लड़ाई में मार दिया गया था। अशूरा को शोक का सबसे पवित्र दिन माना जाता है।
7. संप्रदायिक सद्भाव:
मुहर्रम केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार हमें विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के प्रति सम्मान और सहिष्णुता की याद दिलाता है।
मुहर्रम हमें मानवता, करुणा और सामाजिक न्याय के मूल्यों को याद दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो हमें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है।