मुहर्रम का महीना शोक और स्मरण का महीना होता है। इस महीने में, मुसलमान दुनिया भर में इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करते हैं। ताजिया, जिन्हें अक्सर "मकबरे" के रूप में जाना जाता है, उन मंदिरों या झांकी होते हैं जो इमाम हुसैन की शहादत का प्रतीक हैं।
हालांकि, ताजिया से जुड़े कई गलतफहमियां भी हैं। इस लेख में, हम उनमें से 5 सबसे आम मिथकों को दूर करेंगे:
1. मिथक: ताजिया सिर्फ शिया मुसलमानों द्वारा बनाए जाते हैं।
वास्तविकता: यह सच नहीं है। ताजिया दोनों, शिया और सुन्नी मुसलमानों द्वारा बनाए जाते हैं।
2. मिथक: ताजिया को मूर्तिपूजा का एक रूप माना जाता है।
वास्तविकता: यह भी गलत है। ताजिया इमाम हुसैन की शहादत का प्रतीक हैं, किसी मूर्ति का नहीं।
3. मिथक: ताजिया बनाना और उनमें जुलूस निकालना हराम है।
वास्तविकता: यह गलत व्याख्या है। ताजिया बनाना और उनमें जुलूस निकालना न केवल हराम है, बल्कि यह मुहर्रम की सबसे लोकप्रिय परंपराओं में से एक है।
4. मिथक: ताजिया केवल इराक में बनाए जाते हैं।
वास्तविकता: ताजिया दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा बनाए जाते हैं, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और लेबनान जैसे देश शामिल हैं।
5. मिथक: ताजिया हिंसा और रक्तपात से जुड़े होते हैं।
वास्तविकता: यह एक खतरनाक रूढ़िवादिता है। ताजिया शांति और शोक का प्रतीक हैं, और हिंसा के साथ उनका कोई संबंध नहीं है।
यह महत्वपूर्ण है कि हम इन मिथकों को दूर करें और ताजिया के पीछे के वास्तविक अर्थ को समझें। ताजिया सिर्फ धार्मिक झांकी नहीं हैं, बल्कि वे शहादत, बलिदान और सामाजिक न्याय के संदेश को भी दर्शाते हैं।