नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सबसे ज्यादा गायों को मारा जाता है और वहां पहुंचाई जाने वाली गायें हिन्दू घरों से आती हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है और गौरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।
मोहन भागवत ने कहा, "यह कहा जाता है कि बांग्लादेश में सबसे ज्यादा गायों को मारा जाता है। लेकिन उन्हें वहां भेजता कौन है? ये गायें हिन्दुओं के घरों से वहां पहुंचती हैं और इन्हें ले जाने वाले हिन्दू ही हैं। भारत में गौरक्षा का ढोंग करने वाले ही गायों को बांग्लादेश में पहुंचाते हैं।"
उनके इस बयान ने गौरक्षा और गाय तस्करी के मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। भागवत ने यह भी कहा कि जो लोग भारत में गौरक्षा का दिखावा करते हैं, वही लोग इन गायों को बांग्लादेश में तस्करी करते हैं। उनका यह बयान भारतीय समाज में गहराई से पैठी हुई समस्याओं की ओर इशारा करता है।
भागवत के इस बयान के बाद विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने उनके बयान का समर्थन किया है तो कुछ ने इस पर आपत्ति जताई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद इस मुद्दे पर किस प्रकार की कार्रवाई होती है और सरकार क्या कदम उठाती है।
भागवत ने यह भी कहा कि केवल कानून बनाकर इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता, इसके लिए समाज के हर वर्ग को जिम्मेदारी लेनी होगी और इसे एक नैतिक दायित्व समझना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि गौरक्षा केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक समस्या भी है जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
इस बीच, केंद्र और राज्य सरकारें भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गई हैं और गाय तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों गायें अवैध रूप से बांग्लादेश भेजी जाती हैं और वहां कटाई की जाती हैं। इस तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भी सक्रिय रूप से काम कर रही है।
मोहन भागवत के इस बयान ने देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया है और यह देखना बाकी है कि इस मुद्दे पर समाज और सरकार किस प्रकार की प्रतिक्रिया देते हैं।