नई दिल्ली, 3 जून 2024 : पीयूष मिश्रा
सुप्रीम कोर्ट आज गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली की समयपूर्व रिहाई के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें गवली की समयपूर्व रिहाई का रास्ता साफ किया गया था। गवली हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और उसे महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत भी दोषी ठहराया गया था। इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार और संदीप मेहता की अवकाश पीठ करेगी।
हाईकोर्ट से मिली थी राहत
इससे पहले, उम्रकैद की सजा काटने के बाद अरुण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपनी बाकी सजा कम करने की अपील की थी। उन्होंने उम्र की शर्त पूरी करने के आधार पर जल्द रिहाई के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी और 2006 के एक सरकारी निर्णय के आधार पर समयपूर्व रिहाई का पात्र बताया था। हाईकोर्ट ने गवली को राहत देते हुए उसे समयपूर्व रिहा करने का आदेश दिया था।
शिवसेना विधायक की हत्या के जुर्म में काट रहा है उम्रकैद की सजा
अरुण गवली को शिवसेना विधायक कमलाकर जमसेंदेवर की हत्या के जुर्म में 2012 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। गवली पर हत्या और मकोका समेत कई धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद बाल ठाकरे ने गवली को भारत के दाऊद इब्राहिम की उपाधि दी थी, जिससे उसके डॉन वाले रुतबे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
गवली के ऊपर बन चुकी है फिल्म
अरुण गवली को लोग 'डैडी' के नाम से भी जानते हैं। उसके ऊपर 'डैडी' नाम की एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसका निर्देशन असीम अहलूवालिया ने किया था। पिछले साल रिलीज हुई इस फिल्म में अभिनेता अर्जुन रामपाल ने गवली का किरदार निभाया था।
डॉन ने गांधीवाद की परीक्षा में किया था टॉप
नागपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे अरुण गवली ने महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया था। गवली ने गांधीवाद पर हुई परीक्षा में 80 में से 74 सवालों का सही जवाब दिया था।
सहयोग ट्रस्ट के ट्रस्टी रवींद्र भूसरि ने बताया कि नागपुर सेंट्रल जेल में 1 अक्टूबर, 2017 को गांधीवाद से जुड़ी परीक्षा हुई थी, जिसमें 160 कैदियों ने भाग लिया था। इसमें 12 कैदी मृत्युदंड की सजा काट रहे थे, जबकि कई उम्रकैद और अन्य मामलों में जेल में बंद थे। उन्होंने बताया कि गवली ने इस परीक्षा में भाग लेने की इच्छा जताई और बेहतरीन अध्ययन सामग्री का उपयोग करके परीक्षा में टॉप किया।
गवली की इस उपलब्धि को लेकर जेल प्रशासन और ट्रस्ट के सदस्यों ने खुशी जताई है, क्योंकि उसने जेल में गांधीवाद के सिद्धांतों को आत्मसात करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं।