2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य एक नाटकीय मोड़ पर पहुँच चुका है। हालिया परिणामों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को केवल 33 सीटें हासिल हुई हैं, जो पिछले चुनावों की तुलना में भारी गिरावट को दर्शाता है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटों पर कब्जा कर लिया है, जबकि कांग्रेस ने 7 सीटें जीती हैं। अन्य दलों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस अप्रत्याशित परिणाम का मुख्य कारण ध्रुव राठी का प्रभाव माना जा रहा है, जो एक प्रसिद्ध यूट्यूबर और राजनीतिक विश्लेषक हैं।
ध्रुव राठी ने पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई है। उनके तार्किक और तथ्यों पर आधारित वीडियो ने जनता के बीच गहरा प्रभाव छोड़ा है। विशेष रूप से, उनके द्वारा किए गए विश्लेषण और बीजेपी की नीतियों की आलोचना ने युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों पर गहरा प्रभाव डाला है।
राठी के वीडियो और विश्लेषण ने उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है जो जनता के बीच गूंज रहे हैं, जैसे बेरोजगारी, किसान संकट, और महिलाओं की सुरक्षा। उनके तथ्यों और आंकड़ों के माध्यम से प्रस्तुत किए गए तर्क ने सरकार की नीतियों और उनके कार्यान्वयन पर सवाल उठाए हैं। उनकी स्वतंत्र और निष्पक्ष दृष्टिकोण ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया है और वे बीजेपी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ध्रुव राठी के वीडियो का व्यापक प्रसार हुआ है। उनके सरल भाषा में जटिल मुद्दों की व्याख्या ने लोगों को आसानी से समझने में मदद की है। उनके वीडियो में उठाए गए मुद्दों ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पक्ष में जनता की धारणा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
समाजवादी पार्टी ने इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अखिलेश यादव ने अपनी रैलियों में राठी के तथ्यों का हवाला देकर बीजेपी की नीतियों की आलोचना की और जनता को वैकल्पिक सरकार की ओर आकर्षित किया। कांग्रेस ने भी अपने प्रचार अभियान में राठी द्वारा उजागर किए गए मुद्दों को शामिल किया, जिससे उन्हें 7 सीटों पर जीत हासिल हुई।
बीजेपी के नेताओं ने इस हार को स्वीकार किया और कहा कि उन्हें जनता के संकेतों को समझना होगा और अपनी नीतियों में सुधार करना होगा। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने माना कि ध्रुव राठी के वीडियो और सोशल मीडिया पर उनके द्वारा फैलाए गए संदेशों ने चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डाला है।
इस चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया और स्वतंत्र पत्रकारिता का प्रभाव चुनावी राजनीति में कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। ध्रुव राठी जैसे स्वतंत्र आवाज़ों ने यह दिखा दिया है कि सत्य और तथ्यों की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। उत्तर प्रदेश के इस चुनाव परिणाम ने न केवल बीजेपी के लिए एक चेतावनी का काम किया है, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने रणनीति और नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है।