नई दिल्ली, 3 जून 2024: हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक, गरुड़ पुराण, मृत्यु के पश्चात आत्मा की यात्रा और यमलोक के मार्ग का विस्तार से वर्णन करता है। इस ग्रंथ में उल्लेखित है कि आत्मा को यमलोक पहुँचने के लिए 16 नगरों से होकर गुजरना पड़ता है। ये नगर आत्मा के पाप और पुण्य के आधार पर भोग प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं यमलोक के मार्ग में आने वाले इन 16 नगरों के बारे में।
1. विमोहिनी: यह नगर मोह और माया के बंधन से मुक्त होने का प्रतीक है।
2. क्रूरपुर: यहाँ आत्मा को उसके क्रूर कर्मों के लिए दंडित किया जाता है।
3. महारौरव: इस नगर में अत्यंत भयावह पीड़ा होती है, जो आत्मा को उसके गहन पापों के लिए भोगनी पड़ती है।
4. रौरव: यहाँ आत्मा को शारीरिक और मानसिक यातनाएँ दी जाती हैं।
5. वह्निप्रेष्ठ: यह नगर अग्नि द्वारा शुद्धिकरण का प्रतीक है।
6. अपरपार: इसमें आत्मा को अनंत काल तक कष्ट सहना पड़ता है।
7. अन्धतामिस्र: यहाँ घोर अंधकार और मानसिक पीड़ा का अनुभव होता है।
8. तमिस्र: इसमें आत्मा को क्रोध और द्वेष की पीड़ा झेलनी पड़ती है।
9. सन्देशना: यहाँ आत्मा को उसके असत्य और धोखे के कर्मों के लिए दंडित किया जाता है।
10. कृष्णसूत्र: इस नगर में आत्मा को उसके कर्मों के फलस्वरूप कष्ट उठाने पड़ते हैं।
11. तप्तशिला: यहाँ आत्मा को तप्त पत्थरों पर चलने का दंड मिलता है।
12. वैतरणी: यह नगर एक भयंकर नदी के रूप में है, जिसे आत्मा को पार करना पड़ता है।
13. प्यालो: इसमें आत्मा को उसकी प्यास बुझाने के लिए अशुद्ध और कष्टदायी जल दिया जाता है।
14. प्राणरोध: यहाँ आत्मा को श्वास रोकने का दंड मिलता है।
15. विश्वास: इस नगर में आत्मा को उसके अंध विश्वास और अज्ञान के लिए दंडित किया जाता है।
16. विसंज्ञ: यह नगर आत्मा को उसकी मूर्छा और चेतना के लिए कष्ट प्रदान करता है।
गरुड़ पुराण में इन नगरों का उल्लेख यह स्पष्ट करने के लिए किया गया है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार दंड या पुरस्कार मिलता है। यह मार्ग आत्मा को उसके जीवन में किए गए कर्मों के प्रति जागरूक करने का भी प्रतीक है, जिससे कि जीव अपने जीवन को पुण्य और धर्म के मार्ग पर चल सके।