हिंदू धर्म के विभिन्न शास्त्रों और पुराणों में जीवन और मृत्यु के रहस्यों पर विस्तृत विवरण मिलता है। इन्हीं में से एक प्रमुख ग्रंथ है 'गरुण पुराण', जो मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके विभिन्न पहलुओं पर गहन जानकारी प्रदान करता है।
गरुण पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा एक विशेष यात्रा पर निकलती है। इस यात्रा को 'पितृलोक यात्रा' कहा जाता है। इस यात्रा के दौरान आत्मा को कई पड़ावों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसे सही तरीके से पार करने पर ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मृत्यु के बाद आत्मा के पहले पड़ाव को 'यमलोक' कहा जाता है। यमलोक के देवता, यमराज, आत्मा के कर्मों का हिसाब-किताब करते हैं और उसके अनुसार आत्मा को अगले जीवन का निर्धारण करते हैं। यमलोक में आत्मा को उसके पिछले जीवन के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर विभिन्न प्रकार की यातनाएं या सुख दिए जाते हैं।
गरुण पुराण में वर्णित है कि यदि आत्मा ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए होते हैं, तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है, जहाँ उसे अद्भुत सुख-सुविधाओं का आनंद मिलता है। वहीं, बुरे कर्मों के कारण आत्मा को नर्क में भेजा जाता है, जहाँ उसे विभिन्न प्रकार की कष्टप्रद यातनाओं का सामना करना पड़ता है।
गरुण पुराण में आत्मा के मोक्ष की भी व्याख्या की गई है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए आत्मा को अपने सभी कर्म बंधनों से मुक्त होना पड़ता है। यह स्थिति आत्मज्ञान, सत्कर्म, और भक्ति के माध्यम से प्राप्त होती है। मोक्ष प्राप्त आत्मा पुनः जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है और उसे परमात्मा में विलीन होने का अवसर मिलता है।
गरुण पुराण में मृत्यु और आत्मा के विषय में दिए गए इन विचारों से यह स्पष्ट होता है कि हिन्दू धर्म में जीवन और मृत्यु के रहस्यों को गहराई से समझाने का प्रयास किया गया है। ये मान्यताएं न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
इस प्रकार, गरुण पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके विभिन्न पड़ाव हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में किए गए कर्मों का असर मृत्यु के बाद भी रहता है। अतः हमें सदैव अच्छे कर्म करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हमारी आत्मा को यमलोक में सुख और अंततः मोक्ष की प्राप्ति हो सके।