बायोटेक्नोलॉजी एक अनुशासिक दृष्टिकोण वाली विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शाखा है जिसमें जीवविज्ञान, जैवॉलॉजी, जेनेटिक्स, गेनोमिक्स, रिकंबिनेंट डीएनए, प्रोटीन इंजीनियरिंग, और अन्य तकनीकों का उपयोग करके जीवविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उत्पादन के क्षेत्र में नवीनतम और उच्चतर विज्ञान प्रदान की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य जीव जीवन विज्ञान के सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और संरचनाओं का उपयोग करके विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए नवीनतम और उच्चतर विज्ञान विकसित करना है।
बायोटेक्नोलॉजी का उदय 20वीं सदी के पहले दशक में हुआ, जब वैज्ञानिकों ने जीवन के मूलभूत संरचनाओं और प्रक्रियाओं के साथ खेलने के तरीकों का खोज किया। रिकंबिनेंट डीएनए (आरडीएनए) की खोज इस क्षेत्र की प्रगति में महत्वपूर्ण साबित हुई, जिसने जीवों में उपस्थित जीनों को विशेष ढंग से परिवर्तित और अद्यतित करने की संभावना प्रदान की। इसके बाद से, बायोटेक्नोलॉजी ने जीवविज्ञान, फार्मेस्यूटिकल्स, कृषि, पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा, औषधीय पदार्थ उत्पादन, इम्यूनोलॉजी, एनर्जी उत्पादन, और वृद्धि और विकास के अन्य क्षेत्रों में बड़ी सफलता हासिल की है।
बायोटेक्नोलॉजी को विभिन्न वैज्ञानिकों, उद्योगों, औद्योगिक संगठनों और शोध संस्थानों ने उपयोगी प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं का विकास करके किया है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न तकनीकों और प्रयोगों का उपयोग करके जीवन के प्रकारों, जीनों, प्रोटीनों और अन्य जीवविज्ञानिक संरचनाओं की अध्ययन किया है और उन्हें बदलने और संशोधित करने के तरीकों का विकास किया है। इस प्रक्रिया में जीवविज्ञान, जेनेटिक्स, मोलेक्युलर बायोलॉजी, फर्मेस्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग, और केमिस्ट्री जैसे विभिन्न विज्ञानों की जानकारी का उपयोग किया जाता है।
बायोटेक्नोलॉजी द्वारा विकसित उत्पादों में रोगों के निदान, रोगों के इलाज में उपयोगी दवाओं और औषधीय पदार्थों का विकास, जलवायु परिवर्तन के साथ संगठनिक उत्पादन की गुणवत्ता का बढ़ावा, संगठनिक कृषि में उत्पादन और प्रजनन की बढ़ती मांग का समर्थन, जीवविज्ञान के माध्यम से शुद्ध ऊर्जा उत्पादन, और जीवविज्ञान के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की संरचना और उपयोग में सुधार शामिल हैं।