चंद्रशेखर आजाद

VIDEO: मथुरा में सांसद चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर पथराव: यूपी की कानून व्यवस्था पर उठा बड़ा सवाल

Latest News

मथुरा में आज एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर पथराव किया गया। यह हमला उस समय हुआ जब चंद्रशेखर आजाद जातीय संघर्ष में पीड़ित दलित बहनों से मिलने के लिए भगत नगरिया गांव जा रहे थे। इस घटना ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और जातिवादी तत्वों के बढ़ते हौसले को उजागर किया है।

घटना का विवरण

शुक्रवार, 28 फरवरी 2025 को, चंद्रशेखर आजाद अपने समर्थकों के साथ मथुरा के सुरीर क्षेत्र से होकर भगत नगरिया गांव की ओर जा रहे थे। स्वतंत्रता सेनानी द्वार के पास, ईंट भट्टे के समीप, उनके काफिले पर अचानक पथराव शुरू हो गया। इस हमले में काफिले में शामिल चार से पांच बाइक सवारों को हल्की चोटें आईं। पथराव के तुरंत बाद, क्षेत्र में अफरातफरी मच गई और तनावपूर्ण माहौल बन गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और पथराव करने वाले कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया।

पृष्ठभूमि

यह घटना उस समय हुई जब चंद्रशेखर आजाद मथुरा के करनावल गांव में हाल ही में हुई एक जातीय हिंसा की घटना के पीड़ितों से मिलने जा रहे थे। पिछले शुक्रवार को, इस गांव में रास्ते से गुजरने को लेकर हुए विवाद में दबंगों ने दो दलित दुल्हनों, उनके परिवारजनों और बारातियों पर हमला किया था। इस हमले के बाद, दूल्हों के पिता बिना शादी संपन्न किए बारात को वापस ले गए थे।

चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया

पथराव की घटना के बाद, चंद्रशेखर आजाद ने भगत नगरिया गांव जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया और सुरीर के आंबेडकर पार्क में सभा आयोजित की। यहां, उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हम पूरी तरह से उनके साथ हैं।”

कानून व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। पुलिस की मौजूदगी में हुए इस पथराव ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। जब जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों को आतंकी करार दिया जाता है, तो मथुरा में हुए इस पथराव को किस श्रेणी में रखा जाएगा? यह सवाल समाज और प्रशासन दोनों के लिए चिंतन का विषय है।

जातिवादी तत्वों का बढ़ता साहस

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश में जातिवादी तत्वों के हौसले बुलंद हैं। दलित समुदाय के नेताओं और उनके समर्थकों पर इस प्रकार के हमले समाज में व्याप्त गहरी जातीय विभाजन और असहिष्णुता को दर्शाते हैं। यह घटना न केवल दलित समुदाय के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अगर समय रहते इन तत्वों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

इस हमले के बाद, विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने घटना की निंदा की है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करे ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

मथुरा में चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर हुआ पथराव उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और समाज में व्याप्त जातिवादी मानसिकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है ताकि समाज में शांति और सद्भाव बना रहे। साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और सभी समुदायों के बीच भाईचारा और सम्मान स्थापित हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *