हाइलाइट्स:
- जादवपुर विश्वविद्यालय में रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकारों पर हमला
- महिला रिपोर्टरों के साथ बदसलूकी और कैमरा तोड़ने की कोशिश
- छात्रों द्वारा पत्रकारों को नक्सली और देशद्रोही कहने पर विवाद
- विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल
- प्रेस स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी
घटना का विवरण
कोलकाता के प्रतिष्ठित जादवपुर विश्वविद्यालय में हाल ही में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां रिपब्लिक बांग्ला चैनल के पत्रकारों पर छात्रों द्वारा हमला किया गया। यह घटना तब घटी जब रिपब्लिक बांग्ला की टीम विश्वविद्यालय परिसर में रिपोर्टिंग के लिए पहुंची थी। छात्रों ने पत्रकारों को घेर लिया, उनके साथ धक्का-मुक्की की, और कैमरा तोड़ने की कोशिश की गई।
महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इस हमले में महिला पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी की गई। रिपब्लिक बांग्ला की महिला रिपोर्टर ने बताया कि कैसे उन्हें घेरा गया और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया। यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि महिला पत्रकारों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को भी उजागर करती है।
कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय में अर्नब के रिपब्लिक को बेल्ट ट्रीटमेंट दिया गया।
रिपब्लिक चैनल के रिपोर्टर विश्वविद्यालय में घुसे और छात्रों को नक्सली, देशद्रोही कहना शुरू कर दिया।
महिला छात्रों ने महिला एंकरों को दीवारों के पीछे ले जाकर कायदे से कूटा, और पुरुष रिपोर्टर को… pic.twitter.com/y9mEJ1RaMl
— Kavish Aziz (@azizkavish) March 15, 2025
विवाद का कारण
सूत्रों के अनुसार, विवाद तब शुरू हुआ जब रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकारों ने छात्रों से कुछ सवाल पूछे, जिन्हें छात्रों ने आपत्तिजनक माना। इसके बाद छात्रों ने पत्रकारों को घेर लिया और उनके साथ मारपीट की। कुछ छात्रों का आरोप है कि पत्रकारों ने उन्हें नक्सली और देशद्रोही कहा, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुईं।
विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका
घटना के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकारों का कहना है कि जब उन पर हमला हो रहा था, तब प्रशासन ने उन्हें बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। यह स्थिति विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
प्रेस स्वतंत्रता पर खतरा
इस घटना ने प्रेस स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। एक लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार है, और इस तरह की घटनाएं इस स्वतंत्रता पर सीधा हमला हैं। यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित संस्थान पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और ऐसे हमलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
जादवपुर विश्वविद्यालय में रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकारों पर हुआ हमला निंदनीय है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि हमारे समाज में असहिष्णुता के बढ़ते स्तर को भी दर्शाती है। आवश्यक है कि हम सभी मिलकर प्रेस की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए आवाज उठाएं और ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करें।
संबंधित प्रश्न (FAQs)
1. जादवपुर विश्वविद्यालय में रिपब्लिक बांग्ला के पत्रकारों पर कब हमला हुआ?
यह घटना हाल ही में घटी, जब रिपब्लिक बांग्ला की टीम विश्वविद्यालय परिसर में रिपोर्टिंग के लिए पहुंची थी।
2. हमले का मुख्य कारण क्या था?
विवाद तब शुरू हुआ जब पत्रकारों ने छात्रों से कुछ सवाल पूछे, जिन्हें छात्रों ने आपत्तिजनक माना, जिससे तनाव बढ़ा और हमला हुआ।
3. क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमले के दौरान कोई कार्रवाई की?
रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमले के दौरान पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिससे उनकी निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।
4. इस घटना के बाद क्या कदम उठाए गए हैं?
वर्तमान में, घटना की जांच चल रही है, और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित संस्थानों से कार्रवाई की मांग की जा रही है।
5. प्रेस स्वतंत्रता पर इस घटना का क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस तरह की घटनाएं प्रेस स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं और पत्रकारों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता प्रभावित होती है।