भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में गाय काटने की एक घटना ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने दमोह बंद का आह्वान किया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। प्रशासन ने आरोपियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाकर लोगों की मांग को पूरा किया। यह घटना शुक्रवार को सीता बावड़ी इलाके में घटी, जहां कुछ लोगों ने एक गर्भवती गाय की हत्या कर दी।
दरअसल, शुक्रवार को सीता बावड़ी इलाके में कुछ लोगों ने एक गर्भवती गाय को काट दिया। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, लेकिन जब तक प्रशासन मौके पर पहुंची, तब तक गाय को काटा जा चुका था। पुलिस ने चार-पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
वेटरनरी डॉक्टर आरके असाटी ने बताया कि गाय का पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें पता चला कि गाय के शरीर के सभी अंग अलग-थलग कर दिए गए थे। गाय के पेट में पांच महीने का बछड़ा भी था, जिसे कुछ देर तक जीवित रखने की कोशिश की गई, लेकिन वह भी बाद में मर गया।
इस घटना से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। लोगों ने दमोह बंद का आह्वान किया और व्यापारी महासंघ ने भी इस बंद का समर्थन किया। लोगों ने आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की मांग की। प्रशासन ने लोगों की मांग को मानते हुए आरोपियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया।
एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा ने बताया कि अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) और गोवंश अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों के मकान को गिरा दिया।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे फिर से आंदोलन पर उतरेंगे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि गाय की हत्या एक संवेदनशील मुद्दा है और ऐसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
गोवंश संरक्षण भारत में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। कई राज्यों में गायों की हत्या को लेकर सामाजिक तनाव देखा गया है। दमोह की यह घटना भी इसी कड़ी में एक नया अध्याय जोड़ती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है और ऐसी घटनाएं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
इस घटना पर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थानीय नेताओं ने गोवंश संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग की है। वहीं, विपक्षी दलों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह समय पर कार्रवाई करने में विफल रहा।
दमोह की यह घटना एक बार फिर गोवंश संरक्षण और सामाजिक सद्भाव के मुद्दे को उजागर करती है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को नियंत्रित करने में मदद की है, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है।
संदर्भ:
1. स्थानीय पुलिस रिपोर्ट
2. वेटरनरी डॉक्टर आरके असाटी का बयान
3. एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा का बयान
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