महाकुंभ 2025 में नाव चलाकर 30 करोड़ कमाने वाला नाविक निकला क्राइम का बादशाह, जाने पूरी कहानी

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प्रयागराज के नाविक पिंटू मेहरा का परिवार, जो कभी अपनी सफलता की कहानी के लिए सुर्खियों में था, अब अपराध की दुनिया में अपनी संलिप्तता के कारण चर्चा में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की सफलता का श्रेय लेते हुए इस परिवार की कामयाबी का किस्सा सुनाया था, लेकिन हालिया खुलासों ने इस छवि को धूमिल कर दिया है।

सफलता की कहानी: 30 करोड़ की कमाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बताया था कि कैसे पिंटू मेहरा के परिवार ने महाकुंभ के 45 दिनों में अपनी 130 नावों के जरिए करीब 30 करोड़ रुपये की शुद्ध बचत की थी। इस घोषणा के बाद, यह परिवार चर्चा का केंद्र बन गया था, और उनकी सफलता की कहानी हर गली-मोहल्ले में सुनाई जाने लगी थी।

अपराध की दुनिया से नाता

हालांकि, एबीपी न्यूज़ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह नाविक परिवार अपराध की दुनिया का शातिर खिलाड़ी है। जांच में पता चला है कि पिंटू मेहरा समेत परिवार के ज्यादातर सदस्य शातिर अपराधी हैं, जिनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।

पिंटू मेहरा का आपराधिक इतिहास

पिंटू मेहरा के खिलाफ गंभीर धाराओं में 21 अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसके खिलाफ दो बार गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है। वह कई बार जेल जा चुका है और हाल ही में जमानत पर बाहर आया है। जेल में रहते हुए भी वह कई लोगों को धमकाने का काम करता था, जिसके चलते उसकी जेल भी बदली गई थी।

परिवार के अन्य सदस्यों का आपराधिक रिकॉर्ड

पिंटू मेहरा के पिता राम सहारे उर्फ बच्चा मेहरा भी शातिर अपराधी थे, जिनकी मौत जेल में रहते हुए 25 जून 2018 को हुई थी। पिंटू का बड़ा भाई आनंद मेहरा भी शातिर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर था, जिसकी हत्या कुछ साल पहले कर दी गई थी। पिंटू का एक और भाई अरविंद मेहरा है, जो भी हार्डकोर क्रिमिनल है और जेल जा चुका है।

नाव संचालन में रंगदारी और वसूली

यह परिवार संगम किनारे एक पूरा बोट रैकेट चलाता है। नाव चलाना सिर्फ इनका दिखावा है, बल्कि इनका असल काम नाव चलाने वालों से रंगदारी वसूलना है। आसपास के इलाके में परिवार की छवि दबंगों और माफिया जैसी है।

कमाई के आंकड़ों पर सवाल

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने अलग-अलग घाटों से संगम तक जाने का किराया 75 से ₹100 तय किया था। एक नाव पर दो चालकों के साथ अधिकतम आठ लोग ही बैठ सकते थे। यदि मान लिया जाए कि मेहरा की कुल 130 नावों ने रोजाना संगम के आठ चक्कर लगाए, तो इस हिसाब से एक नाव रोजाना ₹400 की कमाई कर सकती थी। इस तरह 130 नाव से पूरे महाकुंभ के दौरान अधिकतम 3 करोड़ 74,400 की ही कमाई संभव है। यानी सरकारी रेट पर 30 करोड़ की कमाई मुमकिन नहीं है। यह तभी संभव है जब श्रद्धालुओं से मनमाने ढंग से मोटी रकम वसूली गई हो।

सरकारी तंत्र पर सवाल

इस खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस परिवार के आपराधिक इतिहास की जानकारी नहीं थी? क्या बिना पुख्ता जानकारी के मुख्यमंत्री ने सदन में इस परिवार का जिक्र किया? क्या अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से पिंटू मेहरा का सच छिपाया? अब विपक्ष यूपी की योगी सरकार से यही सवाल पूछ रहा है कि मुख्यमंत्री का हीरो तो हिस्ट्रीशीटर निकला।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले ठग से एमओयू कर लिया, अब नामजद के नाम की सदन में बंद आंखों से तारीफ कर दी। इसके अलावा, पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने भी पिंटू मेहरा के अपराध का इतिहास शेयर किया है और सरकार पर सवाल उठाए हैं।

प्रयागराज के इस नाविक परिवार की कहानी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे सतही सफलता की कहानियों के पीछे छिपे सच को उजागर करना आवश्यक है। यह घटना न केवल प्रशासनिक तंत्र की खामियों को उजागर करती है, बल्कि समाज में अपराध और भ्रष्टाचार के गहरे संबंधों पर भी प्रकाश डालती है।

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