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भारतीय रेलवे की विभागीय परीक्षा रिश्वतखोरी मामला: CBI ने 2 IRPS अधिकारियों समेत 6 को गिरफ्तार, 650 ग्राम सोना जब्त

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भारतीय रेलवे की विभागीय परीक्षाओं में कथित रिश्वतखोरी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (IRPS) के दो वरिष्ठ अधिकारियों सहित कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी।

गिरफ्तारी का विवरण

गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में वडोदरा मंडल के वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी सुनील बिश्नोई (IRPS 2008 बैच) और मंडल कार्मिक अधिकारी अंकुश वासन (IRPS 2018 बैच) शामिल हैं। इसके अलावा, मुंबई के चर्चगेट स्थित पश्चिम रेलवे के उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक संजय कुमार तिवारी, उप स्टेशन अधीक्षक नीरज सिन्हा, अहमदाबाद के साबरमती स्थित मंडल रेलवे अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक दिनेश कुमार, और एक निजी व्यक्ति मुकेश मीणा को भी हिरासत में लिया गया है।

भारतीय रेलवे में छापेमारी और बरामदगी

सीबीआई ने गुजरात के वडोदरा सहित 11 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें आरोपियों के आवास और कार्यालय परिसरों को शामिल किया गया। इन छापों के दौरान लगभग 5 लाख रुपये नकद, 650 ग्राम सोना, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

सीबीआई के अनुसार, ये अधिकारी विभागीय परीक्षाओं में उम्मीदवारों को सहायता प्रदान करने के बदले में रिश्वत की मांग कर रहे थे। आरोप है कि वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी अंकुश वासन ने उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक संजय तिवारी को कम से कम 10 ऐसे उम्मीदवारों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था, जो चयन के लिए रिश्वत देने को तैयार हों। इसके बाद, तिवारी ने नीरज सिन्हा और मुकेश मीणा से संपर्क कर ऐसे उम्मीदवारों से रिश्वत एकत्र करने को कहा।

भारतीय रेलवे में सोने की खरीद और नकदी लेनदेन

जांच के दौरान, यह भी पता चला कि संजय तिवारी ने वडोदरा के एक जौहरी से लगभग 400 ग्राम सोना नकद में, बिना किसी चालान के, खरीदने की कोशिश की थी। इसके अलावा, नर्सिंग अधीक्षक दिनेश कुमार को 650 ग्राम सोने के साथ पकड़ा गया, जो उन्होंने लगभग 57 लाख रुपये में खरीदा था। यह सोना वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी सुनील बिश्नोई को सौंपा जाना था।

न्यायिक प्रक्रिया

गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले की विस्तृत जांच जारी है, और सीबीआई यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन शामिल हैं।

भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार के अन्य मामले

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में भी ऐसे कई मामले उजागर हुए हैं:

  • दिसंबर 2023: गुवाहाटी में तैनात एक अतिरिक्त मंडल रेलवे प्रबंधक और छह अन्य को 50 लाख रुपये की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
  • फरवरी 2025: पश्चिम रेलवे के वडोदरा मंडल में पांच रेलवे अधिकारियों और एक निजी व्यक्ति को विभागीय परीक्षा में रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार के ये मामले न केवल संस्थान की साख को प्रभावित करते हैं, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाते हैं। सीबीआई की यह ताज़ा कार्रवाई एक सख्त संदेश है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आवश्यक है कि रेलवे प्रशासन अपने आंतरिक तंत्र को और मजबूत करे, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके।

इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता और सख्त निगरानी आवश्यक है। आशा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के माध्यम से दोषियों को उचित सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसे कृत्यों पर अंकुश लगेगा।

समाचार लेख के लिए निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग किया गया है:

  1. दैनिक भास्कर हिन्दी: इस स्रोत से गिरफ्तारी के विवरण, छापेमारी, बरामदगी, और न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित जानकारी प्राप्त की गई है।
  2. नवभारत टाइम्स: इस स्रोत से भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार के अन्य मामलों के उदाहरण लिए गए हैं।
  3. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस: इस स्रोत से रिश्वतखोरी के तरीके और सोने की खरीद से संबंधित जानकारी ली गई है।

इन स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, लेख को सटीक और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया गया है।

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