हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के ‘बुलडोज़र एक्शन’ पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि वह आरोपी है या दोषी ठहराया गया है। अदालत ने इस प्रकार की कार्रवाइयों को संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। अदालत ने जोर देकर कहा कि किसी भी आरोपी या दोषी का घर गिराना अस्वीकार्य है और यह मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निर्देश और दिशानिर्देश
अदालत ने बुलडोज़र एक्शन के संबंध में निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए:
- ध्वस्तीकरण से पहले कम से कम 15 दिन की नोटिस अवधि दी जानी चाहिए।
- नोटिस संबंधित व्यक्ति को रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भेजा जाना चाहिए और निर्माण स्थल पर चस्पा किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो सुनिश्चित करेगा कि सभी प्रक्रियाओं का पालन हो।
- यदि अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार पर जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक मामले में 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, जहां बिना उचित प्रक्रिया के एक घर को ध्वस्त किया गया था। अदालत ने कहा कि बिना नोटिस दिए किसी का घर तोड़ना अराजकता है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
जनता की प्रतिक्रिया और राजनीतिक दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी गईं। कुछ विपक्षी दलों ने इस फैसले का स्वागत किया, जबकि कुछ ने इसे सरकार की नीतियों के खिलाफ बताया। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस फैसले से अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई में बाधा आ सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्रवाइयों में पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया का पालन हो, जिससे किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन न हो। यह निर्णय न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिए एक मानक स्थापित करता है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की मनमानी कार्रवाइयों पर रोक लगेगी।