हाइलाइट्स
- लखनऊ के तरुण गुप्ता की दो पत्नियाँ अलग-अलग समुदायों से आती हैं।
- उनकी पहली पत्नी सना मुस्लिम हैं और दूसरी पत्नी फिजा हिंदू हैं।
- दोनों पत्नियों के बीच गहरा समझौता और सामंजस्य बना हुआ है।
- समाज में व्याप्त धारणाओं के विपरीत, उनका परिवार खुशहाल और संस्कारी है।
- तरुण का मानना है कि प्यार और आपसी समझ से किसी भी रिश्ते को सफल बनाया जा सकता है।
एक पति, दो पत्नियाँ और सुखी जीवन
लखनऊ से एक ऐसी अनोखी कहानी सामने आई है, जो न केवल समाज की रूढ़ियों को तोड़ती है बल्कि यह भी साबित करती है कि प्यार और आपसी समझ किसी भी रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत होती है। यह कहानी है तरुण गुप्ता की, जिनकी दो पत्नियाँ अलग-अलग समुदायों से आती हैं, फिर भी उनका परिवार प्रेम और सद्भावना का प्रतीक बना हुआ है।
तरुण की पहली शादी: प्यार से मिली जिंदगी की दिशा
तरुण गुप्ता की पहली शादी सना फिजा से हुई थी, जो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। 2018 में दोनों ने लव मैरिज की थी और कोर्ट मैरिज से अपने रिश्ते को कानूनी मान्यता दिलाई थी। उनकी शादी के दौरान कई सवाल खड़े किए गए, लेकिन उन्होंने सभी बाधाओं को पार कर अपना जीवनसाथी चुना।
छह साल बाद दूसरी शादी का संयोग
छह साल बाद 2023 में तरुण की दूसरी शादी फिजा मंसूरी से हुई, और यह शादी भी एक संयोग ही थी। तरुण के अनुसार, उन्होंने एक दिन फिजा को प्रपोज़ किया और अगले ही दिन उनकी शादी हो गई। उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि वे दोबारा शादी करेंगे, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक और प्यार भरा रिश्ता सौंप दिया।
पहली पत्नी की प्रतिक्रिया: गले मिलकर रो पड़ीं दोनों पत्नियाँ
जब तरुण दूसरी पत्नी फिजा को लेकर घर आए, तो उन्हें डर था कि सना इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगी। लेकिन जब सना और फिजा पहली बार मिलीं, तो दोनों गले मिलकर रो पड़ीं। यह एक भावनात्मक क्षण था, जिसने यह साबित कर दिया कि अगर इंसानियत और आपसी समझ हो, तो हर रिश्ता सफल हो सकता है।
कैसे निभा रहे हैं तीनों एक खुशहाल जीवन?
तरुण बताते हैं कि प्यार, सम्मान और पारस्परिक समझ उनके रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत है। तीनों के बीच कभी कोई मनमुटाव नहीं हुआ और वे आपसी सहयोग से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा रहे हैं। सना और फिजा दोनों एक-दूसरे का सम्मान करती हैं और हर फैसले में एक-दूसरे की राय लेती हैं।
धर्म और रीति-रिवाजों में सामंजस्य
तरुण हिंदू धर्म को मानते हैं, जबकि सना मुस्लिम समुदाय से आती हैं। इसके बावजूद, दोनों पत्नियाँ अपने-अपने धर्मों का सम्मान करती हैं। तरुण का कहना है कि घर में बीफ नहीं बनता, लेकिन चिकन और मटन खाने की आज़ादी सबको है। सना और फिजा दोनों इस पर सहमत हैं कि कोई भी धर्म जबरदस्ती थोपा नहीं जा सकता।
समाज की सोच और सवालों पर तरुण का जवाब
समाज में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या यह रिश्ता सच में टिकाऊ है? इस पर तरुण कहते हैं कि “हमारा रिश्ता दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सच्चे प्यार और समझदारी पर टिका हुआ है।”
तरुण का मानना है कि भारत हमेशा से विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का देश रहा है। राजा दशरथ की भी कई पत्नियाँ थीं, गणेश जी की भी दो पत्नियाँ थीं। ऐसे में अगर दो व्यस्क आपसी सहमति से एक साथ रहना चाहते हैं, तो इसमें समाज को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
प्यार, समझ और सम्मान से हर रिश्ता मजबूत बनता है
तरुण, सना और फिजा की कहानी यह सिखाती है कि अगर आपसी समझ और प्यार हो, तो कोई भी रिश्ता मुश्किल नहीं होता। धर्म और परंपराओं की सीमाओं से बाहर निकलकर उन्होंने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या तरुण ने दूसरी शादी से पहले पहली पत्नी की अनुमति ली थी?
हाँ, उन्होंने पहले अपनी पहली पत्नी से बात की थी और बाद में दोनों पत्नियाँ आपसी सहमति से एक परिवार के रूप में रहने लगीं।
2. क्या दोनों पत्नियाँ एक-दूसरे से ईर्ष्या महसूस करती हैं?
नहीं, दोनों एक-दूसरे की बहुत इज्जत करती हैं और बहनों की तरह रहती हैं।
3. क्या धर्म को लेकर उनके बीच कभी कोई विवाद हुआ है?
नहीं, उन्होंने अपने-अपने धर्म को अपनाए रखा है और एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं।
4. क्या इस तरह की शादियाँ भारत में कानूनी हैं?
हाँ, अगर दोनों विवाह कानूनी रूप से संपन्न हुए हैं और सभी नियमों का पालन किया गया है, तो ऐसी शादियाँ कानूनी रूप से मान्य हैं।