हाल ही में, सामाजिक कार्यकर्ता तारिक़ अनवर चंपारनी ने एक बयान में कहा, “अगर इस देश का मुसलमान हाथों में तिरंगा लेकर और भारत का जयकारा करते हुए हिन्द महासागर में या अपने माथा पर तिरंगा बाँधकर एवेरेस्ट की चोटी से भी छलांग लगा दे, फिर भी इस देश का एक नफरती तबका देशभक्ति पर शक करेगा। इसलिए इन्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं है।”
तारिक़ अनवर चंपारनी का यह बयान भारतीय समाज में मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने वाले तत्वों के प्रति एक सशक्त प्रतिक्रिया है। उनका मानना है कि कुछ नफरत फैलाने वाले लोग, चाहे मुसलमान कितनी भी देशभक्ति दिखाएँ, हमेशा उन पर शक करेंगे। इसलिए, ऐसे लोगों को जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।
भारत एक विविधता में एकता वाला देश है, जहाँ विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं के लोग सदियों से साथ रहते आए हैं। मुसलमान भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्होंने देश की स्वतंत्रता, विकास और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फिर भी, कुछ तत्व उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं, जो न केवल अनुचित है, बल्कि समाज में विभाजन पैदा करने वाला भी है।
तारिक़ अनवर चंपारनी का बयान इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है कि यह उन नकारात्मक धारणाओं को चुनौती देता है जो मुसलमानों के प्रति फैलाई जाती हैं। उनका संदेश स्पष्ट है: मुसलमानों को अपनी देशभक्ति साबित करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके कार्य और योगदान स्वयं इसके प्रमाण हैं।
इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि समाज के सभी वर्ग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और समझ विकसित करें। धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर किसी की देशभक्ति पर सवाल उठाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह हमारे समाज की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा है।
तारिक़ अनवर चंपारनी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ें हमें याद दिलाती हैं कि हमें नफरत और विभाजन की राजनीति से ऊपर उठकर एक समावेशी और सहिष्णु समाज का निर्माण करना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम सभी धर्मों और समुदायों के योगदान को स्वीकार करें और एक-दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास बनाए रखें।
अंततः, यह समझना आवश्यक है कि देशभक्ति किसी विशेष धर्म या समुदाय की बपौती नहीं है। यह एक साझा भावना है जो सभी भारतीयों को एक सूत्र में पिरोती है। इसलिए, हमें उन तत्वों को नजरअंदाज करना चाहिए जो समाज में विभाजन पैदा करना चाहते हैं और एकजुट होकर देश की प्रगति और समृद्धि के लिए कार्य करना चाहिए।
तारिक़ अनवर चंपारनी का यह बयान हमें आत्मनिरीक्षण करने और समाज में व्याप्त पूर्वाग्रहों को दूर करने की प्रेरणा देता है। यह समय है कि हम सभी मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें जहाँ हर नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो, समान रूप से सम्मानित और स्वीकार्य महसूस करे।