हाइलाइट्स:
- सांसद चंद्रशेखर आजाद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल।
- राजनीतिक गलियारों में हलचल, लोग बोले- ‘चिराग पासवान के बाद अब ये वीर हनुमान बनेंगे’।
- कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने इसे ‘रणनीतिक मुलाकात’ बताया, विपक्ष ने उठाए सवाल।
- क्या भाजपा के करीब आ रहे हैं चंद्रशेखर आजाद? 2024 के चुनावी समीकरणों पर असर?
- सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं, समर्थक और विरोधी आमने-सामने।
वीडियो वायरल: क्या है मामला?
आजाद समाज पार्टी के मुखिया और वर्तमान सांसद चंद्रशेखर आजाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से गले मिलते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
राजनीति में मुलाकातें होती रहती हैं, लेकिन जब किसी विपक्षी पार्टी के नेता की सत्ता पक्ष के किसी मंत्री से गर्मजोशी से मुलाकात होती है, तो अटकलें लगना स्वाभाविक है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिसमें कुछ लोग इसे एक सामान्य शिष्टाचार मुलाकात बता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक रणनीति से जोड़ रहे हैं।
‘वीर हनुमान’ वाली टिप्पणी पर सोशल मीडिया में बहस
वीडियो वायरल होते ही कई सोशल मीडिया यूजर्स ने चंद्रशेखर आजाद पर तंज कसते हुए कहा कि ‘चिराग पासवान के बाद अब ये वीर हनुमान बनेंगे।’ यह टिप्पणी इसलिए की जा रही है क्योंकि 2019 और 2024 के चुनावों के दौरान चिराग पासवान ने भाजपा से अलग होकर अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाई थी, लेकिन बाद में वे फिर भाजपा के करीब आ गए।
अब जब चंद्रशेखर आजाद की भाजपा के मंत्री से मुलाकात का वीडियो वायरल हुआ, तो विपक्षी पार्टियों और कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे उसी संदर्भ में जोड़कर देखा। हालांकि, चंद्रशेखर आजाद ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
मिलिए गुलाम चमचों का बहुजन मसीहा चंदमुद्दीन उर्फ लड़की बाज चंदू भाजपा सासंद, भाजपा के गोदी में लोटन कबूतर बना खेल रहा है।
मुस्लिम दलित समाज को भटकाकर अपनी ऐशो आराम की जिंदगी जीना इसका यही लक्ष्य है। pic.twitter.com/Dseck4j7bZ
— Sonu graphics bsp (@sonugraphic) March 26, 2025
क्या भाजपा के करीब आ रहे हैं चंद्रशेखर आजाद?
चंद्रशेखर आजाद को उनके भीम आर्मी आंदोलन और दलित राजनीति में एक मजबूत आवाज के रूप में जाना जाता है। वे हमेशा भाजपा और उसकी नीतियों के खिलाफ मुखर रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनके सुर थोड़े नरम नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर चंद्रशेखर आजाद भाजपा के करीब आते हैं, तो इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश और बिहार की दलित राजनीति पर पड़ेगा। यह भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि वह हमेशा से दलित वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश करती रही है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने इस वायरल वीडियो पर चंद्रशेखर आजाद से स्पष्टीकरण की मांग की है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने इसे ‘दलित राजनीति की दिशा बदलने की कोशिश’ करार दिया है। वहीं, बसपा समर्थकों ने भी इस पर नाराजगी जताई है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
समर्थकों की राय:
‘यह सिर्फ एक सामान्य मुलाकात है, इसे ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है।’ ‘चंद्रशेखर आजाद को अपनी राजनीति करने का पूरा हक है।’
विरोधियों की राय:
‘क्या चंद्रशेखर भी भाजपा की गोदी में बैठने जा रहे हैं?’ ‘दलित आंदोलन के नाम पर राजनीति करने वालों का असली चेहरा सामने आ रहा है।’
चंद्रशेखर आजाद और गिरिराज सिंह की मुलाकात को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह कुछ समय तक सुर्खियों में रहेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चंद्रशेखर आजाद खुद इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या यह मुलाकात महज एक संयोग थी या इसके पीछे कोई बड़ी राजनीतिक रणनीति छिपी है।
आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि चंद्रशेखर आजाद भाजपा के करीब आ रहे हैं, या यह केवल एक औपचारिक मुलाकात थी? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और इस खबर को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें!