हाइलाइट:
- वैज्ञानिक गौहर रज़ा का RSS पर विवादित बयान
- बाबर और औरंगज़ेब का ज़िक्र कर दिया तीखा तंज
- बयान के बाद सोशल मीडिया पर मचा बवाल
- हिंदूवादी संगठनों ने की माफी मांगने की मांग
- राजनीतिक गलियारों में भी इस पर आ रही तीखी प्रतिक्रियाएं
गौहर रज़ा का बयान और बढ़ता विवाद
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और कवि गौहर रज़ा एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। उन्होंने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर तंज कसते हुए कहा,
“ये बाबर को पीटते-पीटते थक गए तो औरंगज़ेब को उठा लाए। मुर्दों से लड़ना माफ़ी-वीरों की आदत है।”
गौहर रज़ा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और उनके इस कथन को लेकर कई लोग अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
RSS और हिंदूवादी संगठनों की प्रतिक्रिया
गौहर रज़ा के बयान पर RSS और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई संगठनों ने इसे “भड़काऊ और अनुचित” बताया और माफी मांगने की मांग की।
VHP (विश्व हिंदू परिषद) के प्रवक्ता ने कहा:
“गौहर रज़ा को इतिहास की समझ नहीं है। वे बिना संदर्भ के इस तरह के बयान देकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें तुरंत इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
वहीं, बजरंग दल ने भी इस बयान को “धार्मिक उकसावे” की संज्ञा दी और कहा कि इससे समाज में अवांछित तनाव पैदा हो सकता है।
सोशल मीडिया पर बढ़ती बहस
गौहर रज़ा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #GauharRaza और #RSS ट्रेंड करने लगे। कुछ लोगों ने गौहर रज़ा के बयान का समर्थन किया, तो कुछ ने उन्हें तीखी आलोचनाओं का शिकार बनाया।
🔹 एक ट्विटर यूजर ने लिखा –
“गौहर रज़ा सच कह रहे हैं। हमारे देश में इतिहास को बार-बार तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है।”
🔹 दूसरे यूजर ने लिखा –
“अगर कोई संगठन देशभक्ति की बात करता है, तो उसमें गलत क्या है? गौहर रज़ा जैसे लोग सिर्फ हिंदू संगठनों को बदनाम करने का काम करते हैं।”
इतिहास के आईने में बाबर और औरंगज़ेब
गौहर रज़ा के बयान में जिन ऐतिहासिक शख्सियतों का ज़िक्र किया गया है, वे भारतीय इतिहास में प्रमुख मुगल शासक रहे हैं।
1️⃣ बाबर (1526-1530) – भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने वाले पहले शासक।
2️⃣ औरंगज़ेब (1658-1707) – मुगल साम्राज्य के सबसे विवादित सम्राट, जिन पर धार्मिक असहिष्णुता के कई आरोप लगे।
हाल के वर्षों में, इन ऐतिहासिक शख्सियतों को लेकर कई राजनीतिक और वैचारिक बहसें देखने को मिली हैं।
क्या यह सिर्फ़ बयानबाज़ी है या कुछ और?
गौहर रज़ा के इस बयान को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे बयान जानबूझकर दिए जाते हैं ताकि किसी न किसी समुदाय में राजनीतिक ध्रुवीकरण हो सके।
राजनीतिक विश्लेषक अरुण त्रिपाठी का कहना है:
“भारत में ऐतिहासिक किरदारों को लेकर विवाद खड़ा करना अब नया ट्रेंड बन चुका है। इससे कुछ लोगों को राजनीतिक फायदा मिलता है, और मीडिया की सुर्खियां भी मिलती हैं।”
गौहर रज़ा का यह बयान न केवल विवादास्पद है, बल्कि यह एक नई बहस को भी जन्म दे चुका है। जहां एक ओर उनके समर्थक इसे “सत्य बोलने की हिम्मत” बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके विरोधी इसे “धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश” मान रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि गौहर रज़ा इस विवाद पर अपनी सफाई देते हैं या नहीं!
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
- गौहर रज़ा कौन हैं?
गौहर रज़ा एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, शायर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो कई बार अपने बेबाक बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं। - गौहर रज़ा ने RSS पर क्या कहा?
उन्होंने RSS पर कटाक्ष करते हुए कहा – “ये बाबर को पीटते-पीटते थक गए तो औरंगज़ेब को उठा लाए।” - RSS ने इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
RSS और हिंदूवादी संगठनों ने इस बयान को “भड़काऊ” करार दिया और गौहर रज़ा से माफी की मांग की है। - क्या गौहर रज़ा का यह पहला विवादित बयान है?
नहीं, इससे पहले भी वे कई बार अपने राजनीतिक और सामाजिक बयानों के कारण विवादों में आ चुके हैं। - इस बयान के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?
कुछ लोगों का मानना है कि यह सिर्फ बयानबाज़ी है, जबकि कुछ इसे इतिहास से छेड़छाड़ मानते हैं।
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