फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन को समर्थन देना बंद करता है, तो इससे न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा होगा, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन भी प्रभावित होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघर्षविराम तभी सार्थक होगा जब यूक्रेन को सुरक्षा की ठोस गारंटियाँ दी जाएँ, अन्यथा यह युद्ध और भयंकर रूप से वापस आ सकता है।
अमेरिका, रूस और चीन के लिए बड़े नतीजे
मैक्रों के अनुसार, यदि अमेरिका यूक्रेन से पीछे हटता है, तो इसका सीधा फायदा रूस और चीन को होगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि पश्चिमी देशों के बीच विभाजन से रूस को सैन्य और रणनीतिक बढ़त मिलेगी, जिससे यूरोप की सुरक्षा कमजोर हो सकती है।
व्हाइट हाउस की बैठक में तीखी बहस
हाल ही में व्हाइट हाउस में एक अहम बैठक के दौरान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस के बीच तीखी बहस हुई। इस बैठक में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की के रवैये पर सवाल उठाए और संकेत दिए कि अमेरिका को अपनी प्राथमिकताएँ दोबारा तय करनी चाहिए। वहीं, ज़ेलेंस्की ने अमेरिका से अपनी सहायता बनाए रखने की मांग की।
शांति के लिए केवल संघर्षविराम पर्याप्त नहीं
मैक्रों ने स्पष्ट किया कि केवल युद्धविराम करने से शांति स्थापित नहीं होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी के बिना कोई भी समझौता अस्थायी ही रहेगा। अगर रूस को रोका नहीं गया, तो इससे पूरे यूरोप में अस्थिरता फैल सकती है।
क्या अमेरिका अपनी विदेश नीति बदलेगा?
इस समय अमेरिका की विदेश नीति एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। यदि अमेरिकी नेतृत्व यूक्रेन से समर्थन हटाने का फैसला करता है, तो यह निर्णय न केवल अमेरिका की वैश्विक स्थिति को कमजोर करेगा, बल्कि रूस और चीन को एक मजबूत संदेश भी देगा कि वे आक्रामक नीतियों के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
यूरोप की भूमिका और नाटो
फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। मैक्रों ने नाटो की भूमिका को मजबूत करने पर जोर दिया है और संकेत दिए हैं कि यदि अमेरिका अपने समर्थन को कम करता है, तो यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा रणनीति पर दोबारा विचार करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि नाटो सैनिकों को यूक्रेन भेजने की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस ने पहले ही चेतावनी दी है कि यदि नाटो देशों ने यूक्रेन में सेना भेजी, तो यह नाटो और रूस के बीच सीधा संघर्ष बन सकता है। क्रेमलिन ने बार-बार कहा है कि पश्चिमी देशों की ओर से सैन्य हस्तक्षेप युद्ध को और भड़काने का काम करेगा।
भविष्य की संभावनाएँ
- यदि अमेरिका समर्थन जारी रखता है – इससे यूक्रेन को न केवल सैन्य बल्कि राजनयिक समर्थन भी मिलता रहेगा, जिससे रूस पर दबाव बना रहेगा।
- यदि अमेरिका समर्थन कम करता है – यूरोप को अपनी सुरक्षा नीति पर नए सिरे से विचार करना होगा, और रूस के आक्रामक रुख से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा होगा।
- नाटो की भूमिका – यूरोप को सुरक्षा की दृष्टि से अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी और अपनी रक्षा नीति को मजबूत बनाना होगा।
मैक्रों की यह चेतावनी विश्व शक्ति संतुलन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। अगर अमेरिका यूक्रेन से समर्थन हटाता है, तो यह केवल एक देश की हार नहीं होगी, बल्कि इससे वैश्विक स्थिरता पर भी बड़ा असर पड़ेगा। रूस और चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह जरूरी है कि पश्चिमी देश एकजुट रहें और दीर्घकालिक शांति स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाएँ।