इंडिया हेट लैब ने हाल ही में 2024 में सबसे अधिक हेट स्पीच देने वाले धार्मिक नेताओं की सूची जारी की है, जिससे देशभर में चिंता और बहस का माहौल बन गया है। यह रिपोर्ट धार्मिक नेताओं द्वारा नफरत भरे भाषणों की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है, जो समाज में विभाजन और असहिष्णुता को बढ़ावा दे सकते हैं।
इंडिया हेट लैब का परिचय
इंडिया हेट लैब एक स्वतंत्र अनुसंधान संगठन है जो भारत में नफरत भरे भाषणों और घृणा अपराधों पर नज़र रखता है। यह संगठन विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्रित करता है और समाज में नफरत फैलाने वाले तत्वों की पहचान करने का प्रयास करता है। उनकी नवीनतम रिपोर्ट में 2024 के दौरान धार्मिक नेताओं द्वारा दिए गए हेट स्पीच का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में हेट स्पीच देने वाले धार्मिक नेताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इनमें से कई नेताओं के भाषणों में विशेष समुदायों के प्रति असहिष्णुता और हिंसा के लिए उकसाने वाले संदेश शामिल थे। यह प्रवृत्ति समाज में ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाली है।
हेट स्पीच के प्रभाव
धार्मिक नेताओं द्वारा दिए गए हेट स्पीच का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनके अनुयायी उनके शब्दों को गंभीरता से लेते हैं, जिससे समाज में विभाजन और हिंसा की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, ऐसे भाषण सामाजिक समरसता और शांति के लिए खतरा बन सकते हैं।
इंडिया हेट लैब की 2024 की रिपोर्ट में हेट स्पीच देने वाले प्रमुख धार्मिक नेताओं की सूची निम्नलिखित है:
- महंत राजू दास: अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी, जिन्होंने 14 नफरत भरे भाषण दिए।
- यति नरसिंहानंद सरस्वती: 12 नफरत भरे भाषण दिए।
- साध्वी सरस्वती: मध्य प्रदेश की धार्मिक उपदेशक, जिन्होंने 8 नफरत भरे भाषण दिए।
- स्वामी सचिदानंद: आर्य समाज के उपदेशक, जिन्होंने 8 नफरत भरे भाषण दिए।
- मधुरम शरण शिव: उत्तर प्रदेश में सशस्त्र शिव शक्ति अखाड़ा समूह के नेता, जिन्होंने 4 नफरत भरे भाषण दिए।
- स्वामी दर्शन भारती: उत्तराखंड में देवभूमि रक्षा अभियान संगठन के संस्थापक, जिन्होंने 4 नफरत भरे भाषण दिए।
- कालीचरण महाराज: 3 नफरत भरे भाषण दिए।
- धीरेंद्र शास्त्री: 3 नफरत भरे भाषण दिए।
- आचार्य रामस्वरूपभ्रमचारी: 3 नफरत भरे भाषण दिए।
- स्वामी प्रभोदानंद गिरि: 2 नफरत भरे भाषण दिए।
- स्वामी दीपांकर: 2 नफरत भरे भाषण दिए।
यह सूची धार्मिक नेताओं द्वारा नफरत भरे भाषणों की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है, जो समाज में विभाजन और असहिष्णुता को बढ़ावा दे सकते हैं।
कानूनी प्रावधान और कार्रवाई
भारत में हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कानूनी प्रावधान मौजूद हैं, जैसे भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए। इन धाराओं के तहत, धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाले कृत्यों को दंडनीय अपराध माना जाता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई मामलों में इन कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है, जिससे हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ कार्रवाई में कमी देखी गई है।
Monks and religious leaders have emerged as central figures in delivering anti-minority hate speeches, effectively exploiting religious authority, public trust, large followings and provide religious legitimacy to the normalization of hatred. In 2024, religious preachers… pic.twitter.com/mC54Eqfqu0
— India Hate Lab (@indiahatelab) February 26, 2025
समाज की भूमिका
समाज के विभिन्न वर्गों, विशेषकर सिविल सोसाइटी, मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों, को हेट स्पीच के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। धार्मिक नेताओं को भी अपने प्रभाव का सकारात्मक उपयोग करते हुए समाज में शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना चाहिए।
इंडिया हेट लैब की यह रिपोर्ट हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। धार्मिक नेताओं का कर्तव्य है कि वे समाज में एकता, प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलाएं। हेट स्पीच न केवल कानूनी दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि यह हमारे समाज की मूलभूत संरचना को भी कमजोर करती है। समय की मांग है कि हम सभी मिलकर नफरत के खिलाफ आवाज उठाएं और एक समावेशी समाज का निर्माण करें।
स्रोत: इंडिया हेट लैब रिपोर्ट 2024