इंडस वैली रिपोर्ट 2025 ने भारत की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है, जिससे देश में आय और खर्च के असमान वितरण का स्पष्ट चित्रण होता है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की 140 करोड़ की आबादी में से केवल 10% लोग, यानी लगभग 14 करोड़ लोग, देश के कुल खर्च का दो-तिहाई हिस्सा खर्च करते हैं। वहीं, 20% आबादी, यानी लगभग 30 करोड़ लोग, एक-तिहाई खर्च के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि शेष 100 करोड़ लोगों के पास खर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
इंडिया 1: संपन्न वर्ग
रिपोर्ट के अनुसार, ‘इंडिया 1’ श्रेणी में आने वाले 10% लोग देश के कुल खर्च का 66% हिस्सा खर्च करते हैं। इनकी प्रति व्यक्ति आय लगभग 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) है। यह वर्ग मुख्य रूप से उच्च सुरक्षा वाले पॉश इलाकों में निवास करता है और हवाई यात्रा, दोपहिया वाहन खरीद, ऑनलाइन फूड डिलीवरी जैसी सेवाओं का प्रमुख उपभोक्ता है। हालांकि, इस वर्ग की संपत्ति में वृद्धि हो रही है, लेकिन इसमें नए लोगों का समावेश नहीं हो रहा है, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
इंडिया 2: उभरता उपभोक्ता वर्ग
‘इंडिया 2’ श्रेणी में 20% आबादी शामिल है, जिनकी प्रति व्यक्ति आय लगभग 3,000 डॉलर (करीब 2.5 लाख रुपये) है। यह वर्ग हाल ही में अधिक खर्च करने लगा है, लेकिन अपने खर्चों के प्रति सतर्क रहता है। इनके खर्च करने की क्षमता बढ़ रही है, लेकिन यह अभी भी सीमित है।
इंडिया 3: संघर्षरत बहुसंख्यक
सबसे बड़ी चिंता का विषय ‘इंडिया 3’ है, जिसमें 100 करोड़ लोग शामिल हैं। इनकी प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,000 डॉलर (करीब 85,000 रुपये) है, जो अफ्रीका के गरीब देशों के समान है। इनके पास खर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता प्रभावित होती है।
आर्थिक असमानता के प्रभाव
रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि भारत की आर्थिक वृद्धि का लाभ समान रूप से वितरित नहीं हो रहा है। देश की जीडीपी मुख्य रूप से उपभोक्ता खर्च पर निर्भर है, लेकिन निवेश का योगदान कम है। जब तक ‘इंडिया 2’ और ‘इंडिया 3’ की आमदनी नहीं बढ़ेगी, तब तक आर्थिक विकास संतुलित नहीं हो सकता। भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में हमारा रैंक 149वां है, जो चिंताजनक है।
उपभोक्ता बाजार में भारत की स्थिति
अमेरिका, जर्मनी, जापान और चीन के बाद भारत दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। पिछले दस वर्षों में भारत के उपभोग में वृद्धि अन्य देशों की तुलना में अधिक रही है। लेकिन प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय के मामले में भारत, चीन और इंडोनेशिया से भी पीछे है, जो देश में आर्थिक असमानता की खाई को दर्शाता है।
स्टार्टअप इकोसिस्टम और क्विक कॉमर्स का प्रभाव
इंडस वैली रिपोर्ट 2025 में महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम का विश्लेषण किया गया है। विभिन्न सरकारी और निजी डेटा स्रोतों के आधार पर क्विक कॉमर्स में वृद्धि और स्थानीय सुविधा स्टोर्स पर इसके प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है। यह दर्शाता है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, लेकिन इसका लाभ सभी वर्गों तक समान रूप से नहीं पहुंच रहा है।
समावेशी विकास की आवश्यकता
भारत की आर्थिक असमानता को कम करने के लिए समावेशी विकास नीतियों की आवश्यकता है। ‘इंडिया 2’ और ‘इंडिया 3’ की आमदनी बढ़ाने के लिए रोजगार सृजन, शिक्षा और कौशल विकास पर जोर देना होगा। इसके अलावा, निवेश को प्रोत्साहित करने और छोटे एवं मध्यम उद्योगों को समर्थन देने से आर्थिक विकास को संतुलित किया जा सकता है।
इंडस वैली रिपोर्ट 2025 भारत की आर्थिक असमानता की गहराई को उजागर करती है। यह आवश्यक है कि नीति निर्माता और समाज के सभी वर्ग इस असमानता को कम करने के लिए मिलकर काम करें, ताकि देश का विकास सभी के लिए लाभदायक हो और भारत एक समृद्ध और समावेशी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर सके।