हाइलाइट्स:
- सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, जिसमें मुस्लिम युवाओं ने आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी की।
- नारों में “मार डालो सालों को, आरएसएस वालों को” और “गुफ्ताफ ए नबी का सर चाहिए” जैसे विवादास्पद बयान शामिल।
- वीडियो ने आरएसएस और मुस्लिम समुदाय के बीच पुराने तनाव को फिर से उजागर किया।
- अंबेडकरवाद और जिहादी विचारधारा के बीच संघर्ष पर सवाल उठे।
- भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देने वाले इस वीडियो ने बहस छेड़ दी।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ मुस्लिम युवाओं को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो ने न केवल सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या भारत में वैचारिक संघर्ष और धार्मिक विवाद के बीच संतुलन बनाए रखना संभव है?
वीडियो में क्या है?
वायरल हो रहे इस वीडियो में कुछ मुस्लिम युवाओं को नारे लगाते हुए सुना जा सकता है:
– “मार डालो सालों को, आरएसएस वालों को!”
– “बोलो बोलो क्या चाहिए? गुफ्ताफ ए नबी का सर चाहिए!”
यह वीडियो जहां एक ओर आरएसएस के खिलाफ नफरत भरे भाषण को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठाता है कि क्या यह वीडियो वास्तव में भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों के अनुरूप है?
वीडीओ में भारत का तिरंगा दिख रहा जाहिर सी बात है यह वीडीओ भारत का है,
बता दे RSS से मन भेद है मत भेद है हमारा
और अंबेडकरवाद विचार धारा RSS पर भारी पड़ता है, हमारी विचारो की लड़ाई है, पर इनकी कौन सी लड़ाई है,इन जैसे जिहादियों का एक मकसद है दुश्मन के दुश्मन को खत्म करो फिर… pic.twitter.com/rQpE8DxIuS
— Bheem Baudh (@BHEEM_BAUDH) March 12, 2025
विवाद की जड़ें
इस वीडियो के पीछे की कहानी काफी गहरी है। आरएसएस और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का इतिहास काफी पुराना है। आरएसएस, जो खुद को एक सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी संगठन के रूप में पेश करता है, को अक्सर मुस्लिम समुदाय द्वारा विरोध का सामना करना पड़ता है।
हालांकि, इस वीडियो में जो नारे लगाए जा रहे हैं, वे न केवल आरएसएस के खिलाफ हैं, बल्कि यह भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देते प्रतीत होते हैं।
अंबेडकरवाद और जिहादी विचारधारा
वीडियो में एक बात और उभरकर सामने आई है, वह है अंबेडकरवाद और जिहादी विचारधारा के बीच का संघर्ष। बाबासाहेब अंबेडकर ने हमेशा संविधान और लोकतंत्र के माध्यम से लड़ाई लड़ने पर जोर दिया था। उनकी लड़ाई कलम और किताब की थी, न कि हिंसा और नफरत की।
लेकिन इस वीडियो में जो नारे लगाए जा रहे हैं, वे अंबेडकरवादियों को गुमराह करके जिहाद के रास्ते पर ले जाने का प्रयास करते प्रतीत होते हैं। यह न केवल अंबेडकरवाद के मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह भारतीय संविधान की भी अवहेलना करता है।
भारतीय संविधान और लोकतंत्र
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां हर नागरिक को संविधान के तहत अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। लेकिन यह अधिकार हिंसा और नफरत फैलाने के लिए नहीं है। इस वीडियो में जो नारे लगाए जा रहे हैं, वे न केवल आरएसएस के खिलाफ हैं, बल्कि यह भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को भी चुनौती देते हैं।
सरकार और समाज की भूमिका
इस तरह के वीडियो और नारेबाजी से निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देते हैं। वहीं, समाज को भी ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए, जो धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का प्रयास करते हैं।
यह वीडियो न केवल आरएसएस और मुस्लिम समुदाय के बीच के तनाव को उजागर करता है, बल्कि यह भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को भी चुनौती देता है। हमें यह समझना होगा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां हर नागरिक को संविधान के तहत अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। लेकिन यह अधिकार हिंसा और नफरत फैलाने के लिए नहीं है।
हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए, जो धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का प्रयास करते हैं। भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
FAQs
1. यह वीडियो कहां से वायरल हुआ है?
यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वायरल हुआ है।
2. आरएसएस और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव क्यों है?
आरएसएस और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का इतिहास काफी पुराना है, जो मुख्य रूप से सांस्कृतिक और राजनीतिक मतभेदों पर आधारित है।
3. क्या यह वीडियो भारतीय संविधान के खिलाफ है?
हां, इस वीडियो में जो नारे लगाए जा रहे हैं, वे भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देते हैं।
4. सरकार को इस मामले में क्या करना चाहिए?
सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देते हैं।
5. अंबेडकरवाद और जिहादी विचारधारा में क्या अंतर है?
अंबेडकरवाद संविधान और लोकतंत्र के माध्यम से लड़ाई लड़ने पर जोर देता है, जबकि जिहादी विचारधारा हिंसा और नफरत पर आधारित है।